भोपाल। अटेर विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विशेष शक्तियों के साथ अरविंद भदौरिया का प्रचार अभियान चरम पर है। भदौरिया की तरफ से मोर्चा संभालने वालों में दर्जनों दिग्गजों के नाम हैं परंतु हेमंत कटारे की ओर से उनकी मां मीरा भदौरिया ही तूफानी जनसंपर्क कर रहीं थीं। पिछले दिनों उनका एक्सीडेंट हो गया। इस घटना के बाद अरविंद भदौरिया ना तो उनसे मिलने पहुंचे और ना ही फोन पर उनका स्वास्थ्य हाल जाना। भदौरिया की यह बेरुखी अब सुर्खियों में है।
भाजपा के दिग्गज नेता अरविंद भदौरिया इस तरह के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। 'खेलभावना' या 'इंसानियत' जैसे उदाहरण उन्होंने कम ही पेश किए हैं। स्व. सत्यदेव कटारे से चुनाव हार चुके अरविंद भदौरिया 2013 से लगातार अटेर के संपर्क में नहीं थे। शायद वो जनता से नाराज थे, क्योंकि जनता ने उन्हे हरा दिया था। जिन लोगों ने उन्हे वोट दिया था वो भी उनसे मिलने के लिए तड़पा करते थे।
अटेर में उपचुनाव की घोषणा से पहले ही अरविंद भदौरिया ने अपनी सारी तैयारियां कर लीं थीं। टॉप लेवल पर उन्होंने सारी सेटिंग कर ली थी परंतु ग्राउंड लेवल पर व्यवहार बनाना अब भी बाकी है। पिछले दिनों उनके प्रतिद्ंवदी कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे की मां एवं चुनाव अभियान की कमान संभाल रहीं मीरा कटारे का एक्सीडेंट हुआ। राजनीति की नैतिकता कहती है कि अरविंद भदौरिया को उनसे मिलने अस्पताल जाना चाहिए था। यदि वो ज्यादा व्यस्त थे तो फोन करके उनका हालचाल जान सकते थे परंतु भदौरिया ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। अब उनकी यह बेरुखी सुर्खियों में हैं। असहिष्णुता का आरोप तो कई नेताओं पर लगता रहता है। यह अमानवता का आरोप है। शायद एक वर्ग इससे नाराज है।