योगी आदित्यनाथ: सन्यास से सिंहासन तक पढ़िए पूरी कहानी

लखनऊ। शरीर पर गेरुआ, जुबां पर देशभक्ति, प्रखर राष्ट्रवादी, युवा, हिंदू समर्थक, गोरखनाथ मंदिर के मठाधीश, हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक, बीजेपी सांसद, योगी जितने भी नाम हैं, ये सब एक ही नाम का उपनाम है, जिसके सिर यूपी का ताज सजा है, योगी आदित्यनाथ, बस ये नाम ही काफी है। जब पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था, उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।

योगी का जन्म देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर उन्होंने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित से स्नातक किया। तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे। उनका असली नाम अजय सिंह बिष्ट है।

गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी संसद पहुंचे, तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने। 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरों में सुमार हैं। 2014 में पांचवी बार सांसद बने।

राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। वो विवादों में भी बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए, तो योगी को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए। 

ऐसे बढ़ा योगी का कद
अब योगी की हैसियत ऐसी हो गई कि जहां से चलते हैं, वहीं से कारवां जुड़ जाता है। उनकी जुबां से निकला एक-एक अल्फाज उनके समर्थकों के लिए कानून बन जाता है। यही नहीं, होली और दीपावली कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी गोरखनाथ मंदिर से एलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया था। 

2008 में हुआ था जानलेवा हमला
सात सितंबर 2008 को योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हमला हुआ था। हालांकि वे इस हमले में बाल-बाल बच गए थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया था और लोगों को लहूलुहान कर दिया था। वहीं आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान उस वक्त गिरफ्तार किया गया था, जब मोहर्रम के दौरान हुई फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी। तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया था, लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर जाने के लिए अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की, लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। 

दंगे की आग फैलती गई
हालांकि योगी पर हुई कार्रवाई का ऐसा असर हुआ कि मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे तक फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों तक फैल गया।

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