भोपाल। 'मेरे बापू बचपन में सचमुच बहुत हानिकारक थे। फिल्म में तो उनके अत्याचार का केवल 5 प्रतिशत ही दिखाया गया है। अगर उस कहानी को सुनाया, तो दंगल-2 बनानी पड़ जाएगी।' ऐसा कहना है फीमेल रेसलर बबिता फोगट का। वे द संस्कार वैली स्कूल में आयोजित इंटरेक्शन सेशन में स्टूडेंट्स से बातचीत कर रही थीं।
'जैसे आप एग्जाम में चीटिंग करते हो, मैं और गीता भी बापू से खूब चीटिंग करते थे। सुबह 4 बजे उठकर ग्राउंड पर जाते तो, वहां जाकर सो जाते थे। हालांकि बापू के आने की आहट सुनकर दौड़ लगाना शुरू कर देते थे। अब, लगता है कि बापू हमारे लिए जितने अधिक हानिकारक थे, हमारे लिए उतने ही अच्छे थे। तो आप भी ध्यान रखिए, जो टीचर ज्यादा डांटता है, वो ही आपको सबसे ज्यादा प्यार भी करता है।'
मां की सीख
'हम मां से बोलते थे कि हम भी क्या मशीने हैं, आखिर बापू कितनी मेहनत कराएंगे? हमें भी रेस्ट चाहिए, तो मां कहती थीं कि या तो अभी 10 साल मेहनत कर लो और पूरी जिंदगी आराम करो, या फिर अभी 10 साल आराम करके पूरी जिंदगी मेहनत करते रहना।'
घर में कभी दंगल नहीं हुआ
'पापा ट्रेनिंग ही इतनी हार्ड करवा देते थे कि, हाथ-पैर उठाने का मन ही नहीं करता था। ट्रेनिंग करके इतने थक जाते थे कि कई बार तो क्लासरूम में ही सो जाते थे। हम तो स्कूल भी पैदल जाते थे। आपके पास तो सुविधाएं हैं, चैलेंज कम है। इसलिए जल्दी से जल्दी अपना टार्गेट सेट करो। मेरी मां कहती थीं कि बस साल-दो साल कड़ी मेहनत करते जाओ, सफलता मिल जाएगी।'
खुद को ही कमजोर मान लेती हैं लड़कियां
'लड़कियों में बहुत सहनशक्ति होती है। जिसकी सहनशक्ति अच्छी हो, वह कमजोर हो ही नहीं सकता। हमारे समाज में लड़कियां अपने आप ही खुद को कमजोर मान लेती हैं। बिना बात ही सोच बैठती हैं कि वे नाजुक कली हैं और छूने से मुरझा जाएंगी।'