जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा अंतरिम आदेश पारित करते हुए कौशल विकास के सैकड़ों कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने पर रोक लगा दी। इसी के साथ राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता विकास मिश्रा सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, सुरेन्द्र वर्मा, प्रवीण दुबे व संजीव चंसौरिया सहित अन्य ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य शासन ने कौशल विकास के तहत सैकड़ों संविदा नियुक्तियां की थीं।
एमपी काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग के तहत राज्य के 113 सेंटर्स में विधिवत नौकरियां दी गईं। 2015 में कार्यकाल दो वर्ष के लिए बढ़ाया गया। इस तरह 2017 तक कार्य कराने के बाद अचानक सभी कर्मियों को नौकरी से निकालने की गाज गिरा दी गई।