ग्वालियर। मध्य प्रदेश के श्योपुर में शिव भक्त राजा गिरधर गौड़ द्वारा बसाया गया शहर 'गिरधरपुर' तांत्रिकों का शहर था। यहां जादू टोने की प्रतियोगिताएं हुआ करतीं थीं। राजा महल को अब खंडहर हो गया लेकिन एक बावड़ी आज भी उस जमाने के तांत्रिकों की दहशत को जिंदा रखे हुए है। कहते हैं कि इस बावड़ी का पानी पीने से भाई, भाई का दुश्मन हो जाता है।
श्योपुर से 20 किलोमीटर दूर गिरधरपुर की हीरापुर गढ़ी या गिरधरपुर हवेली के खंडहर आज भी यहां बनी शापित बावड़ी की कहानी कह रहे हैं। करीब 100 साल के बुजुर्ग मोतीलाल शर्मा को बचपन में दादा-दादी के सुनाए इन बावड़ियों के किस्से आज भी याद हैं। गिरधरपुर के ही बुजुर्ग समाजसेवी कैलाश पाराशर इन किस्सों को आधारहीन किंवदंती भर मानने को तैयार नहीं हुए।
पाराशर ने बताया कि हवेली के खंडहर और राजा गिरधर गौड़ के आदेश पर पाटी गई बावड़ी इस बात का सुबूत है कि कुछ तो रहा होगा जिसके आधार पर ये किंवदंतियां फैलीं।
तांत्रिक बावड़ी का पानी पीकर होते थे झगड़े
गिरधरपुर में लोग कहते हैं कि इस बावड़ी का पानी पीने से सगे भाई झगड़ने लगते थे। जब राजपरिवार और अन्य लोगों के बीच ऐसी घटनाएं होने लगी तो राजा ने इस पटवा दिया। किंवदंती है कि एक नाराज तांत्रिक ने जादू-टोना कर दिया था, जिसके बाद से इस बावड़ी के पानी का ऐसा प्रभाव हो गया था।
राजा ने बसाया था यह सुन्दर नगर
250 साल पहले बनी ये बावड़ी करीब 100 वर्ग फीट की है, और करीब 10 फीट गहरी है। आज भी यहां चार-पांच बावड़ियां बची हैं, एक बावड़ी में आज भी पानी भरा रहता है। गिरधरपुर बहुत पुराना गांव है, राजा गिरधर गौड़ के यहां गढ़ी बनाने से पहले इसे हीरापुर नाम से जाना जाता था। राजा गिरधर गौड़ ने यहां सुंदर नगर बसाया था, इसके बाद से इसे राजा के नाम पर ही गिरधरपुर कहा जाने लगा। हालांकि गांव के पुराने हिस्से को कुछ लोग आज भी हीरापुर ही कहते हैं।
इस शहर को जादू-टोना और तांत्रिकों का शहर कहा जाता है, शिव भक्त गौड़ राजाओं के समय में यहां तांत्रिकों और जादूगरों के मुकाबले हुआ करते थे। ऐसे ही किसी मुकाबले में हारे एक तांत्रिक ने ही गुस्से में आकर इस पटी हुई बावड़ी को शापित कर दिया था।