
समाधी रोड स्थित परासिया सोहड़ गांव में रहने वाली दिव्यांग मीना पटेल और इसी गांव में प्रैक्टिस करने वाले बीएएमएस डॉक्टर समीरन बाला निवासी वेस्ट बंगाल के प्रेम की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। एक साल पहले मीना की मां का इलाज करने डॉक्टर बाला उसके घर आए थे। तभी उनकी पहली मुलाकात हुई। डॉक्टर ने खुद मीना की मां से उनकी लड़की से शादी का प्रस्ताव रखा था। उस समय तक डॉक्टर को ये पता नहीं था कि मीना दिव्यांग है। मां ने उन्हें हकीकत बताई तब भी डॉक्टर अपने फैसले पर अडिग रहे।
एक साल बाद कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन किया और मंगलवार को दोनों परिणय सूत्र में बंध गए। खास बात ये रही कि दूल्हा डॉ. बाला दुल्हन मीना को गोद में उठाकर अपर कलेक्टर कोर्ट तक पहुंचे। शादी के बाद वापस जाने तक उन्होंने दुल्हन को सहारा दिया। डॉक्टर आठ साल से गांव में रहकर लोगों का इलाज कर रहे हैं।