राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरताज लखनऊ में पुलिस की गोली से मारे गये आतंकवादी सैफुल्लाह के पिता है, भारतीय संसद से लेकर आम आदमी भी उन्हें सलाम कर रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने देशद्रोही बेटे का मुंह भी देखने से इंकार कर दिया और लानत भेज रहा है उन पर जिन्हें महीनों पहले से ऐसी वारदात होने की मुक्कमल सूचना थी। उत्तर प्रदेश की सरकार अपने हिसाब से, मध्यप्रदेश सरकार अपने हिसाब से केंद्र सरकार अपने हिसाब से इस हिसाब को चुकाने की योजना बना रही थी। देश के बारे में एक भारतीय की नजर से सोचने की फुर्सत किसी को नहीं थी। वोट बैंक और प्रतिद्वंदी राजनीतिक दल को नीचा दिखाने के मंसूबे में जुटे लोग आज भी सबूत मांग रहे है। देश विरोधी ताकतों के खिलाफ सबसे बड़ा गुस्सा सरताज का है और वे सलाम के हकदार हैं।
उत्तर प्रदेश के पुखराया में 20 नवम्बर को हुआ रेल हादसे के बाद शम्सुल हौदा तक पहुंचने के साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस को वो सारी जानकारी मिल गई थी, जिस पर अब कार्रवाई हो रही है या होगी। चुनाव के समीकरण को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस को विचार करने लिए कहा गया। कार्रवाई तो उसे शाजापुर ट्रेन ब्लास्ट के बाद मजबूरन करना पड़ी। तेलगाना पुलिस ने मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश और केंद्र को अलर्ट भेजा था। उत्तर प्रदेश पुलिस आज भी इस मामले में कुछ पर्दा रखे हैं। जानकारी देना नहीं चाहती है, तथ्यों को तोडा मरोड़ा जा रहा है।
केंद्र ने एनआईए को जाँच सौप दी है। एनआईए के साथ देश के सरताज ब्रांड अनेक लोग है, पर राजनीति कभी किसी असीमानंद अभी किसी प्रज्ञा तो कभी किस और का नाम तलाश लेती है महाराष्ट्र में आये अदालती फैसले इसके उदाहरण है। यह सब बंद कीजिये देश हित में। सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत तो अभी आईएस आईएस के विरुद्ध सबूत मांगना कौन सी राजनीति है। बंद कीजिये देश सरताज को सलाम और आपको .......! कह रहा है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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