भोपाल। सागर के महापौर अभय दरे जिन्होंने चुनाव के समय भरे मंच से यह शपथ उठाई थी कि वो कमीशन तो दूर की बात, महापौर पद के लिए मिलने वाले वेतन, भत्ते और सुविधाएं तक नहीं लेंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस बात की गारंटी ली थी कि वो कभी बेईमानी नहीं करेंगे लेकिन नगरीय प्रशासन कमिश्नर विवेक अग्रवाल की जांच में दरे कमीशनखोर पाए गए हैं। शासन ने महापौर के महापौर दरे के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार छीन लिए हैं।
शुक्रवार को आदेश जारी होने के बाद से महापौर ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। इस मामले में महापौर के खिलाफ ईओडब्ल्यू भी जल्द एफआईआर दर्ज कर सकती है। नगरीय प्रशासन विभाग ने इस संबंध में जीएडी को चिठ्ठी भेजने की तैयारी कर ली है। इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शनिवार को सागर आगमन से ठीक एक दिन पहले की गई कार्रवाई को भाजपा की छवि को बचाने के प्रयास जोड़कर देखा जा रहा है। यह चर्चा भी तेज हो गई है कि महापौर से पार्टी इस्तीफा मांग सकती है।
नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त विवेक अग्रवाल ने एक दिन पहले गुस्र्वार को महापौर दरे, निगमायुक्त कौशलेंद्र सिंह और निगम के ठेकेदार संतोष प्रजापति को तलब किया था। देर रात तक तीनों के बयान लिए गए थे। इसके बाद शुक्रवार को महापौर के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार छीनने का आदेश जारी कर दिया गया। निगम आयुक्त कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने शासन से इस आदेश के आने की पुष्टि की है।
दरअसल, 21 फरवरी को एक ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें महापौर अभय दरे और निगम के ठेकेदार संतोष प्रजापति के बीच जेसीबी भुगतान को लेकर 25 प्रतिशत से ज्यादा कमीशन के लेनदेन की चर्चा के दौरान की रिकॉर्डिंग बताई जा रही थी। महापौर यह कमीशन मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छता अभियान के लिए मांग रहे थे।