नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार को दुनिया की सबसे अधिक बुद्धिजीवी-विरोधी करार दिया। प्रधानमंत्री ने इससे पहले नोटबंदी के आलोचकों का मजाक उड़ाते हुए कहा था, "हार्वर्ड से ज्यादा शक्तिशाली हार्ड वर्क है"। चिदंबरम ने 1968 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से ही एमबीए की पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा, "हमारे पास दुनिया की सबसे अधिक बुद्धिजीवी विरोधी सरकार है, क्योंकि यह सोचती है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अमर्त्य सेन सम्मान के लायक नहीं हैं।"
चिदंबरम ने 'नोटबंदी की अनकही कहानियां- भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव' सम्मेलन में कहा, "यह सरकार सोचती है कि ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज, हार्वर्ड आदि सब बेकार हैं। मोदी ने बुधवार को दिए अपने भाषण में सरकार द्वारा जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 7 फीसदी के उत्साहजनक आंकड़े का हवाला देते हुए, नोबल विजेता डॉ. अमर्त्य सेना का नोटबंदी की आलोचना को लेकर मजाक उड़ाते हुए कहा था कि 'हार्वर्ड से पढ़े अर्थशास्त्रियों पर कड़ी मेहनत की जीत हुई है।'
मोदी ने उत्तर प्रदेश में एक चुनावी रैली में कहा, "हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड से पढ़े जानेमाने बुद्धिजीवी जो भारतीय अर्थप्रणाली में प्रमुख पदों पर रहे हैं। उनका कहना है कि नोटबंदी के कारण जीडीपी में 2 फीसदी की कमी आएगी, कुछ अन्य लोगों का कहना है कि 4 फीसदी की कमी आएगी। एक तरफ से हार्वर्ड से पढ़े बुद्धिजीवी हैं, तो दूसरी तरफ यह गरीब मां का बेटा है जो कड़ी मेहनत से देश की अर्थव्यवस्था को बदलना चाहता है।"
मोदी ने कहा, "क्या हार्वर्ड जीतेगा या कड़ी मेहनत जीतेगी- किसानों, मजदूरों और देश के ईमानदार लोग यह पहले ही साबित कर चुके हैं कि हार्ड वर्क हार्वर्ड से ज्यादा शक्तिशाली है और भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़नेवाली अर्थव्यवस्था है। अमर्त्य सेन ने नोटबंदी को 'एक निरंकुश कार्रवाई करार दिया था और विश्वास पर आधारित अर्थव्यवस्था की जड़ों को काटनेवाला' बताया था।