भोपाल। CAG रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हथियारों की भारी कमी से जूझ रही मध्यप्रदेश पुलिस के अफसर अपनी शानोशौकत और लक्झरी लाइफ के लिए सरकारी पैसे का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं। जो बजट उन्हे बदमाशों को पकड़ने वाले वाहन /बाईक,जीप,इत्यादि/ खरीदने के लिए दिया गया था, उससे अफसरों के लिए लक्झरी कारें खरीद ली गईं। मैदानी पुलिस कर्मचारी परेशान है और महिला पुलिसकर्मी अपने ही थाने में खुद को असुरक्षित महसूस करतीं हैं।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस विभाग में बुनियादी सुविधाओं का टोटा बना हुआ है, जबकि अफसर अपनी शानो शौकत पूरी करने में लगे हुए हैं। विभाग के पास 53 हजार 84 पुराने शस्त्र हैं, जिसमें 8 हजार 233 प्वाइंट, 410 मस्केट राइफल तथा 581 प्वाइंट रिवॉल्वर खराब थी। वर्ष 2016 तक 23 हजार 955 आधुनिक शस्त्रों की कमी पुलिस विभाग में थी। एमपीएफ योजना के अंतर्गत पुलिस ने पांच करोड़ 88 लाख रुपए की 102 सिडान व हैचबैक कारें खरीदी हैं। कैग के अनुसार यह योजना के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन था। इस राशि से पुलिस को सिर्फ बाइक, जीप, मध्यम व भारी वाहन खरीदने की अनुमति थी।
26 फीसदी पुलिस कर्मी संतुष्ट नहीं
कैग ने अपने फीडबैक में पाया कि पुलिस महकमे में व्यवस्था को लेकर 26 प्रतिशत पुलिसकर्मी ही संतुष्ट हैं। पीटीएस इंदौर को भले ही पिछले दिनों देश के सर्वश्रेष्ठ ट्रेनिंग सेंटर का अवॉर्ड मिला हो पर रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2011 से 16 के बीच छह पुलिस प्रशिक्षण स्कूलों तथा दो अकादमियों में 17 हजार 785 को सिर्फ आधारभूत पाठयक्रमों में प्रशिक्षण दिया गया। इसमें भी उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 2011-12 में जहां 85 फीसदी था, वहीं 2016 में 69 रह गया।
महिला पुलिसकर्मी सुरक्षित महसूस नहीं करती
पुलिस की जांच की गति को भी कैग ने धीमा बताते हुए लंबित जांच के मामले पांच साल में 85 प्रतिशत बढ़ना बताया है। पुलिस के पास पहले से ही 23 हजार 380 ऐसे मामले हैं, जिनमें जांच लंबित है। महिलाओं की सुरक्षा के दावे के विपरित महिला पुलिसकर्मी ही सुरक्षित नहीं हैं। यह बात महिला पुलिसकर्मियों ने कैग की टीम को बताई, जिसकी वजह थी थानों में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय न होना। इस वजह से 48 महिला पुलिसकर्मियों ने असुरक्षित महसूस होने की बात कैग बताई।