
उन्हें उम्मीद है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड की तरह यहां भी किसी अनजान लेकिन आलाकमान के करीबी को सीएम की कुर्सी मिल सकती है। 16 मार्च को साफ हो जाएगा कि उत्तराखंड का सीएम कौन बनेगा। बता दें कि राज्य में कुल 70 सीटें हैं लेकिन एक सीट पर 15 मार्च को एक बूथ पर दोबारा से मतदान के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा।
सतपाल महाराज, त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रकाश पंत, भगत सिंह कोश्यारी, मेजर जनरल (रिटायर्ड) बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल, हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा सीएम पद के प्रमुख दावेदार हैं। सतपाल महाराज साल 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। उन्होंने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा का दामन थामा था। वे सीएम पद की रेस में सबसे आगे बताए जाते हैं। वे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं और धार्मिक गुरु भी हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद दो साल तक उन्होंने उत्तराखंड में जमीन पर काफी काम किया। वे पौड़ी से विधायक चुने गए हैं। बताया जाता है कि पहाड़ी सीट से आने के चलते उनकी दावेदारी बढ़ गई है।
भाजपा नेता और त्रिवेंद्र सिंह रावत दूसरे सबसे बड़े दावेदार हैं। वे पहले झारखंड में पार्टी का काम देखते थे। बताया जाता है कि उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भी विश्वास है। पार्टी सूत्रों के अनुसार सतपाल महाराज और त्रिवेंद्र सिंह में से भाजपा कार्यकर्ता त्रिवेंद्र को ही चुनेंगे। पिथौरागढ़ से विधायक प्रकाश पंत एक अन्य नाम हैं। वे उत्तराखंड के पहले विधानसभा स्पीकर रह चुके हैं। 11 मार्च को मतगणना समाप्त होने के बाद वे दिल्ली भी गए थे। जहां तक बात खंडूरी, पोखरियाल की है तो उनके सीएम बनने के अवसर कम हैं लेकिन वे अपने करीबियों का नाम आगे बढ़ा सकते हैं।