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दरअसल पिछले महिने कोर्ट ने रेप के एक केस में महिला से पूछा कि क्या आप रेप के दौरान चीखीं या चिल्लाई थीं? क्या किसी से आपने मदद के लिए गुहार लगाई थी? इस पर पीड़िता ने बताया कि उसने साफ साफ शब्दों में कहा था कि बस बहुत हो गया। कोर्ट ने पीड़िता के इस जवाब पर कहा कि सिर्फ इस वाक्य के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि रेप हो रहा था। कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि अगर महिला रेप के दौरान चीखी नहीं तो इसका मतलब ये कि उसके साथ रेप नहीं हुआ है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही इटली में इसका विरोध तेज हो गया है। तमाम महिला संगठनों ने इस फैसले को गलत बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। इतालवी संसद में विरोधी दलों ने भी रेप के इस अजीबोगरीब फैसले के खिलाफ अपनी आवाज तेज कर दी है। विपक्षी सांसद अन्नाग्रेजिया कलाब्रिया ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से महिलाएं कभी न्याय नहीं पा सकेंगी।
इसके बाद इटली के कानून मंत्री ने अपने अधिकारियों से वैसे मामलों की जानकारी मांगी है जिसमें रेप के दौरान महिला के चीखने या चिल्लाने के बावजूद भी पुरुष को आरोपी बनाया है। इटली की स्थानीय समाचार एजेंसी ANSA के मुताबिक गुरुवार को मंत्री आंद्रे अर्लांडो ने अपने मंत्रालय के निरिक्षकों को आदेश दिया है कि उन सभी रेप मामलों की फिर से समीक्षा करें जिनमें महिलाओं के चीखने के प्रमाण नहीं हैं।