नई दिल्ली। यूपी में हुई जबर्दस्त हार का सबक कांग्रेस ने नहीं लिया है। दिल्ली में चल रहे निगम चुनाव में भी टिकट वितरण का तरीका वही पुराना है। दिग्गजों ने अपने अपने कोटे के टिकट हथिया लिए हैं और वो अपने रिश्तेदारों यहां तक कि नासमझ बच्चों को बांट रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता और जीतने योग्य प्रत्याशी जैसी कोई शर्त ही नहीं है। इस आशय की एक शिकायत कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी तक भी पहुंचा दी गई है लेकिन जैसा कि होता आया है। राहुल गांधी फैसला लेने में देरी कर रहे हैं।
दावा किया जा रहा है कि निगम चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस इस बार खासी माथापच्ची कर रही है। इसके लिए संभावित प्रत्याशियों के बायोडेटा को तो खंगाला ही जा रहा है, साथ में जिलों व ब्लॉक से आए नामों को भी चेक जा रहा है। लेकिन इस कवायद के बीच आरोप लग रहे हैं कि पार्टी की ओर से नेताओं के रिश्तेदारों को भी टिकट देने का फैसला लिया जा चुका है, जिसका विरोध शुरू हो गया है।
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस नेता प्रहलाद सिंह साहनी, राजेश जैन, मंगतराम सिंघल, बलराम तंवर, प्रेम सिंह व अन्य नेता अपने बेटे या बेटी को टिकट दिलाने के लिए खासी मेहनत कर रहे हैं। वैसे पार्टी के एक नेता का कहना है कि अगर इन नेताओं के लाडले पहले से ही पार्टी में काम कर रहे हैं तो उनको टिकट देने में विवाद नहीं होना चाहिए, लेकिन वे कांग्रेस के मेंबर भी नहीं हैं तो उनको टिकट देने से बगावत जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
सूत्र बताते हैं कि इस मसले को लेकर दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं ने रविवार को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से उनके निवास पर मुलाकात की और यही आरोप लगाए कि जमीनी नेताओं व कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नेताओं के लाडलों को टिकट देने की तैयारी कर ली गई है। राहुल से मिलने वालों में कई महिला नेता भी शामिल थी। इनकी अगुवाई जिलाध्यक्ष अर्चना सचदेव आदि ने की।
इन नेताओं का कहना था कि वे भी चाहते हैं कि चुनाव में युवाओं को टिकट दिया जाए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नेताओं के नासमझ लाडलों को टिकट थमा दिए जाएं। बताते हैं कि राहुल ने उनकी बात ध्यान से सुनी और पहले कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह इस मामले को देखेंगे। उसके बाद उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा और इस बाबत ऐक्शन लिया जाएगा।