नई दिल्ली। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह की निष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं। गोवा के विधायक भी दिग्विजय सिंह से नाराज हैं। बात हाईकमान तक पहुंच गई है। आरोप है कि दिग्विजय सिंह ने जान बूझकर देरी की और सबसे ज्यादा विधायक होने के बावजूद सरकार बनाने की कोशिश तक नहीं की। आरोप यह भी है कि दिग्विजय सिंह ने जान बूझकर बीजेपी की मदद की और सरकार बनाने का अवसर प्रदान किया। सच क्या है यह तो दिग्विजय सिंह ही जानें परंतु गोवा में जो कुछ हुआ, उससे दिग्विजय सिंह की चाणक्य नीति पर दाग जरूर लग गया है।
एनडीटीवी की खबर के अनुसार कांग्रेस हाई कमान के मिसमैनेजमेंट की वजह से तीन विधायकों ने कथित तौर पर पार्टी छोड़ने तक की धमकी दी है। दरअसल कांग्रेस ने गोवा चुनाव में 17 सीटें जीतकर बड़ी पार्टी बनी थी। जिसके बाद उसे बहुमत के लिए सिर्फ 4 विधायकों की जरूरत थी। लेकिन वह जरूरी 4 विधायकों का समर्थन नहीं जुटा सकी।
वहीं बीजेपी 13 सीट जीतकर दूसरी बड़ी पार्टी थी। जिसके बाद उसने निर्दलीयों और दूसरी पार्टियों को अपने साथ जोड़कर सरकार बनाने का दावा पेश किया और राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने मनोहर पर्रिकर को राज्य का सीएम भी मनोमित कर दिया। कांग्रेस विधायक विश्वजीत पी राणे ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कभी कभी लगता है कि मैं गलत पार्टी में हूं। मेरे ऊपर सभी विधायकों का दबाव था कि मैं कुछ करूं लेकिन मैं सोनिया गांधी के चलते पीछे रहा। कुछ विधायक तो आरोप लगा रहे हैं कि दिग्विजय सिंह ने जानबूझकर नितिन गडकरी की मदद की है।