जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के खिलाफ भोपाल की अदालत में विचाराधीन मानहानि का मुकदमा खारिज करने का महत्वपूर्ण आदेश सुनाया। मामला साईंबाबा के खिलाफ टिप्पणी से संबंधित था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि स्वतंत्र भारत में प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। इसलिए कोई भी किसी को भगवान मानने या न मानने के लिए स्वतंत्र है। इसीलिए शंकराचार्य के खिलाफ दर्ज किया गया मानहानि का मुकदमा आगे चलाए जाने योग्य नहीं है।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान शंकराचार्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी दिसम्बर 2014 को शंकराचार्य ने साईंबाबा के खिलाफ जो बयान दिया, उससे पूर्व भी वे इसी तरह अपने विचार रखते आए थे। वे द्विपीठाधीश्वर होने के नाते हिन्दू धर्म के संरक्षक हैं, इसीलिए हिन्दू धर्म की परम्पराओं व मर्यादाओं की रक्षा के लिए समय-समय पर उनके बयान सामने आते रहते हैं।
साईंबाबा के संबंध में जो वक्तव्य दिया गया, वह किसी तरह की दुर्भावना से प्रेरित नहीं था। ये विचार शंकराचार्य के निजी विचार थे। जिनसे साईंबाबा या उनके अनुयायियों की कहीं कोई मानहानि नहीं हुई है। लिहाजा, भोपाल की जेएमएफसी कोर्ट में विचाराधीन मानहानि का मुकदमा खारिज किया जाता है।