
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान शंकराचार्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी दिसम्बर 2014 को शंकराचार्य ने साईंबाबा के खिलाफ जो बयान दिया, उससे पूर्व भी वे इसी तरह अपने विचार रखते आए थे। वे द्विपीठाधीश्वर होने के नाते हिन्दू धर्म के संरक्षक हैं, इसीलिए हिन्दू धर्म की परम्पराओं व मर्यादाओं की रक्षा के लिए समय-समय पर उनके बयान सामने आते रहते हैं।
साईंबाबा के संबंध में जो वक्तव्य दिया गया, वह किसी तरह की दुर्भावना से प्रेरित नहीं था। ये विचार शंकराचार्य के निजी विचार थे। जिनसे साईंबाबा या उनके अनुयायियों की कहीं कोई मानहानि नहीं हुई है। लिहाजा, भोपाल की जेएमएफसी कोर्ट में विचाराधीन मानहानि का मुकदमा खारिज किया जाता है।