मुंबई। प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के पूर्व डायरेक्टर सुनील शर्मा ने भारत सरकार की नीतियों से आहत होकर खुदकुशी करने की चेतावनी दी है। शर्मा की चेतावनी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। शर्मा ने बताया कि इस योजना की नए सिरे से शुरुआत के साथ उन्हें डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया। इस योजना के तहत मार्च 2017 तक भारत के 630 जिलों में जेनरिक दवाओं की दुकानें 3000 की संख्या में खोलने की बात कही गई थी।
इस बारे में सरकार की तरफ से बड़े कदम भी उठाए गए। सरकार ने इस मामले में 2.5 करोड़ रुपये खर्च कर विज्ञापन देकर दुकान खोलने के नाम पर आवेदन मंगाए। सरकार के दिए विज्ञापन पर दुकान खोलने के लिए 28 से 30 हजार आवेदन आए पर सरकार के विज्ञापन में दुकान खोलने की शर्तों के बारे में सही तरीके से नहीं बताया गया, जिसके चलते 800 ही दुकानें खुल सकी हैं। वहीं सरकार ने इस जन हितकारी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
सुनील शर्मा ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर विप्लब चटर्जी सरकार की जन लाभकारी योजना के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। शर्मा ने कहा कि सीईओ चटर्जी ने करोडों का विज्ञापन दिया पर नतीजा शून्य रहा, शर्मा ने इसपर सवाल उठाए तो उनको 28 फरवरी 2017 को निलंबित कर दिया गया। शर्मा ने अपने आरोप में कहा कि सीईओ को डायरेक्टर को निकालने का अधिकार नहीं है। अपने निलंबन से आहत शर्मा ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया का भी सहारा लिया है। इसमें 20 मार्च 2017 को खुदकुशी के पोस्ट की जानकारी ट्विटर और फेसबुक पर भी पोस्ट की गई है।