मोनिका शर्मा/भोपाल। बेरेाजगारों को नौकरी के नाम पर लूटने वाली शिवराज सरकार अब उन्हें सदमे में भी ला रही है। शिवराज सिंह का व्यापमं/पीईबी अब हर भर्ती परीक्षा में सिलेबस व स्तर को ठेंगा दिखाकर ऐसे प्रश्न दे रहा है जो परीक्षक के पांडित्य को प्रदर्शित करते हैं। ऐसे में हजारों के स्टडी मटेरियल व दिन रात की पढ़ाई के बाबजूद मेधावी छात्र मायूस हैं और हर छात्र सफलता को तुक्के का किस्मत कनेक्शन मान रहा है।
दरअसल बदनामी में पूरे विश्व में नाम कमा चुके व्यापम के अधिकारी भर्ती परीक्षाओं के नाम पर बोझ झड़ाने की नीति पर चल रहे हैं। ऑनलाइन एग्जाम पैटर्न अपनाने के बाद व्यापमं को हर परीक्षा कई दिनों तक दो शिफ्ट में करानी पड़ रही है। ऐसे में व्यापमं ने आनन फानन में पेपर सेटर्स ऐसे तय किए हैं जो न तो विज्ञापन में जारी सिलेबस से वास्ता रखते हैं और न ही उनका ध्यान परीक्षा व उसमें शामिल परीक्षार्थियों की आवश्यक योग्यता से नाता है।
हालत ये है कि लेबर इंस्टपेक्टर में सामान्य कम्पयूटर के नाम पर ऐसे तकनीकी प्रश्न हर सेट में डाले गए जिन्हें जबाब तो दूर परीक्षार्थी सवाल तक समझ नहीं पाए। बीसीए से लेकर बीई कम्पूयटर तक पास युवक इन प्रश्नों के जबाब नहीं दे पाए। हाल ही में चल रही महिला सुपरवाइजर परीक्षा में हर प्रश्न बैंक पीओ के लिए आवश्यक बोधगम्यता एवं तर्कशक्ति का परीक्षण करता नजर आता है जबकि सिलेबस में इन बिन्दुओं पर कुल जमा 10 प्रश्न आने थे।
पेपर में आया हर प्रश्न ढूंढते रह जाओेगे की मानसिकता से परीक्षक ने डाला है। हर प्रश्न अवधारणात्मक है एवं परीक्षा में पूरे 200 नंबर के प्रश्नों में कहीं भी प्रश्नों के आधारभूत नियम सरल, मध्यम, कठिन एवं अति कठिन का पालन नहीं किया गया है। इस स्थिति में मेधावी छात्राएं भी बिना पढे़ हुए के बराबर रहते हुए तुक्के लगाने को मजबूर हैं एवं पूरा रिजल्ट तुक्के के किस्मत कनेक्शन पर अटक गया है।
खास बात ये है कि सुपरवाइजर को जो काम करना है उसी अनुसार विभाग ने सिलेबस में पोषण एवं आहार, टीकाकरण, बाल विकास, महिला बाल विकास की योजनाएं जैसे तथ्यात्मक बिन्दु तय किए थे मगर परीक्षक पहले प्रश्न से अंतिम 200 प्रश्न तक हर प्रश्न में तर्कशक्ति, बोधगम्यता एवं बैंकिंग सेक्टर के लिए आवश्यक कौशलों का परीक्षण कर रहा है। ऐसे में प्रश्न आने पर भी महिलाएं तय समय में प्रश्न हल नहीं कर पा रहीं हैं।
आक्रोशित महिलाओं ने सवाल खड़ा किया है कि अगर कहीं से भी कुछ आ जाएगा तो फिर सिलेबस एवं प्रश्नों का स्तर विज्ञापन में क्यों दिया गया। साथ ही क्या जो आईएएस की तैयारी नहीं कर रहे वे व्यापम की परीक्षा देना छोड़ दें। क्योंकि व्यापम की परीक्षाओं के प्रश्न एमपीएससी के प्रश्नों का मजाक उड़ा रहे हैं। कई परीक्षार्थियों ने इसे सनकी एवं महापंडित पेपर सेटर्स द्वारा आवेदकों से किया जा रहा घिनौना मजाक बताया है। युवाओं का आक्रोश विभिन्न कैरियर बेबसाइटों पर आए तीखेे एव गुस्से भरे कमेंटों मेें साफ देखा जा सकता है। सैकड़ों महिला आवेदकों ने पेपर बनाने वालों को सनकी, पागल कहते हुए अपना मानसिक तनाव प्रदर्शित किया है।