ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने महाराजपुरा थाने में 26 अक्टूबर 2016 को दर्ज हत्या के प्रयास की उस एफआईआर को निरस्त कर दिया, जिसमें तीन लोगों को आरोपी बनाया था। पुलिस ने इस मामले में फर्जी एफआईआर दर्ज की थी लेकिन वो तकनीकी मामले में उलझ गई। एफआईआर में पुलिस ने दर्ज किया कि गोली सामने से चली। साथ ही यह भी लिखा कि गोली पीछे पिंडली में लगी। पुलिस ने विवेचना में इसे सही पाया और सजादेही के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया। हाईकोर्ट ने इसी लाइन के आधार पर एफआईआर रद्द कर दी।
चकरामपुरा निवासी गंभीर कुशवाह ने महाराजपुरा थाने में लवकुश कुशवाह, उदल कुशवाह, संतोष कुशवाह के खिलाफ 26 अक्टूबर 2016 को शिकायत की। शिकायत में बताया कि वह अपने खेत में पानी देने के लिए गए थे। इस दौरान वहीं खड़े हरीश ने अपने भाई की पत्नी को पानी में धकेल दिया। इसके बाद लवकुश को फोन कर बोला कि तुम्हारी चाची के साथ गंभीर ने मारपीट कर दी है। इस पर लवकुश, ऊदल, संतोष मौके पर पहुंचे और गंभीर पर सामने से कट्टे से गोली चला दी। ये गोली उसकी पिंडली में जाकर लगी। इसके बाद पुलिस ने धारा 307, 294 के तहत लवकुश, ऊदल, संतोष के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।
ऊदल ने एफआईआर को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने कोर्ट को बताया कि एफआईआर में सामने से गोली चलाना बताया गया है। अगर सामने से गोली चलाई गई है तो वह पिंडली के पास कैसे लगेगी। पुलिस ने झूठा केस दर्ज किया गया है और याचिकाकर्ता को झूठा फंसाया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने एफआईआर को निरस्त कर दिया।