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एटीएस सूत्रों ने बताया कि सैफुल्लाह जब जाजमऊ के कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था, तभी फेसबुक के जरिए वह इस आतंकी संगठन के संपर्क में आया था। इसके बाद पैसे कमाने और तेजी से अमीर बनने की चाहत में वह आतंक का नुमाइंदा बन गया। कानपुर ही नहीं, उसने चंडीगढ़, इटावा, हरदोई, बरेली, मुरादाबाद आदि शहरों में अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया।
चंडीगढ़ से बीटेक करने वाला इटावा से गिरफ्तार फकरे आलम भी उसके बहकावे में आकर आइएस से जुड़ा बताया गया। यही नहीं, सैफुल्लाह ने चचेरे भाइयों फैसल और दानिश को भी बेहतर कमाई का लालच देकर जोड़ लिया। अपने काम को बढ़ाने के लिए आइएस इन युवाओं को मोबाइल, लैपटॉप समेत तमाम सुविधाएं भी मुहैया करा रहा है।
इटावा में फकरे आलम के पास मिला लैपटॉप भी आइएस का बताया जा रहा है। इसी तरह जाजमऊ केडीए कॉलोनी निवासी मप्र में पकड़ा आतिफ भी अलीगढ़ में पढ़ाई कर रहा था, जहां से उसने इस संगठन की तरफ रुख किया।