
1. अश्विन इस बार नहीं चले
भारतीय टीम के स्पिन गेंदबाज रविंचद्रन अश्विन अहम गेंदबाज के रुप में टीम में योगदान निभाते हैं लेकिन इस मैच में वह पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए । उन्होंने दोनों पारियों में महज 1-1 विकेट हासिल किया । टीम को मैच के आखिरी दिन अश्विन से उम्मीदें थीं कि वे विकेट हासिल कर टीम को मैच जितवाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और टीम मैच के आखिरी दिन विकेट लेने के लिए तरसती रही ।
2. हैंड्सकोंब और मार्श की साझेदारी का ना टूटना
एक समय में ऑस्ट्रेलिया के 4 विकेट 63 रनों पर गिर गए थे जिसमें कप्तान स्टीवन स्मिथ का विकेट भी था उनके आउट होने के बाद ऐसा लग रहा था कि भारत दूसरे सेशन में जल्दी विकेट हासिल कर मैच जीत लेगा, लेकिन पीटर हैंड्सकोब और शॉन मार्श की जोड़ी ने मैच का रुख बदलकर रख दिया और दोनों ने 124 रनों की साझेदारी निभाकर मैच ड्रा करवा दिया ।
3. कोहली का गलत फैसला
मैच के शुरु होने से पहले पिच क्यूरेटर ने कहा था कि पांचवे दिन के शुरुआती ओवरों में स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलेगी और ऐसा हुआ भी पहले सेशन में रविंद्र जडेजा ने 2 विकेट हासिल किए, लेकिन उनका साथ देने वाले रविचंद्रन अश्विन के हाथों विराट कोहली ने गेंद थमाना ठीक नहीं समझा और पहले सेशन में उनकी जगह तेज गेंदबाज इशांत शर्मा को लाया गया । यदि अश्विन के हाथों गेंद थमाई जाती थी तो शायद मैच का परिणाम कुछ और होता ।
4. पारी घोषित करने में देरी :-
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के द्वारा पहली पारी में बनाए गए 453 रनों के जबाव में 603 रन बनाए । भारत द्वारा बनाए गए 603 रन काफी स्लो एवरेज में बनाए गए थे । भारत ने इतना स्कोर बनाने के लिए 210 ओवरों का समय लिया । यदि भारत 603 से पहले ही अपनी पारी घोषित कर लेता और ऑस्ट्रेलिया को मैच के चौथे दिन के तीसरे सेशन में बल्लेबाजी का न्यौता देता तो शायद ऑस्ट्रेलिया आज का पूरा दिन नहीं खेल पाता ।
5. कोहली का आउट ऑफ फार्म :-
विराट कोहली अब तक हुए सीरीज के तीन मैचों में आउट ऑफ फार्म चल रहे है । तीसरे मैच के पहली पारी में भी कोहली कुछ खास नहीं कर सके और महज 6 रन बनाकर चलते बने । आपको बता दें कि पुणे में खेले गए पहले मैच के दौरान कोहली पहली पारी में 0 और दूसरी पारी में 13 रन बनाकर आउट हुए, जबकि बैंगलोर टेस्ट की पहली पारी में 12 और दूसरी पारी में 15 रन बनाकर चलते बने थे।