नई दिल्ली। नौकरशाहों को सोशल मीडिया पर आम एक्टिविस्ट की तरह मनचाही पोस्टिंग कितनी महंगी पड़ सकती है, एक और उदाहरण सामने आ गया। आईपीएस हिमांशु कुमार ने ट्वीट किया था 'उत्तर प्रदेश में योगी राज आते ही यादव 'पुलिसकर्मियों को हटाने की मची होड़।' सीएम आदित्यनाथ ने हिमांशु को सस्पेंड कर दिया।यूपी के इस आईपीएस अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगाया था। हिमांशु कुमार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बीते बुधवार की सुबह ट्वीट किया था, 'यहां वरिष्ठ अधिकारियों में यादव सरनेम वाले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड या लाइन हाजिर करने की होड़ मची है। इसके साथ हिमांशु कुमार ने सवाल किया था कि आखिर क्यों डीजीपी ऑफिस अधिकारियों को जाति के नाम पर लोगों को दंडित करने के लिए मजबूर कर रहा है?
हिमांशु के इस बगावती ट्वीट ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा था और कई लोगों ने उनके ट्वीट को रीट्वीट करना शुरू कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक योगी सरकार ने अनुशानहीनता के आरोप में हिमांशु कुमार को सस्पेंड किया है।
हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि हिमांशु कुमार बिहार में एक मुक़दमे में वांछित चल रहे हैं। उनकी पत्नी प्रिया ने उनके खिलाफ दहेज़ उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। उनके खिलाफ बिहार की एक अदालत ने बेलेबल वारंट भी जारी किया है।
हिमांशु कुमार को अनुशासनहीनता के आरोप में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आदेश पर निलंबित किया गया है। निलंबन की खबर आते ही आईपीएस हिमांशु कुमार ने फिर से एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि 'सत्य की जीत' होती है।
बताया जा रहा है कि हिमांशु कुमार खुद यादव परिवार के सांसदों और कद्दावर नेताओं की पैरवी करते थे। इसलिए उन्हें मनचाहे ज़िलों में तैनाती मिलती रही। किसी की हिम्मत नहीं थी कि उन्हें ज़िले से हटा दे। गौरतलब है कि हिमांशु को चुनाव आयोग ने फिरोजाबाद के एसपी पद से हटाया था।