भोपाल। नामी ब्रांड KABULIWALA BHOPAL के खिलाफ नकली प्रॉडक्ट बेचने का मामला प्रमाणित हुआ है। उपभोक्ता फोरम ने काबुलीवाला पर 12 हजार रुपए का हर्जाना पीड़ित उपभोक्ता को अदा करने का आदेश दिया है, लेकिन सवाल यह है कि जिन उपभोक्ताओं ने दावा नहीं किया, उनका क्या। ठगी तो उनके साथ भी हो गई।
कस्तूरबा नगर निवासी रूपेंद्र अहिरवार ने 15 जुलाई 2013 को एमपीनगर जोन-2 स्थित काबुलीवाला मेन ब्रांच से लिवोन हेयर गेन टॉनिक 650 रुपए में खरीदा था। 90 दिन तक उपयोग करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिले और सिर में एक भी नया बाल नहीं आया।
उन्होंने 11 मार्च 2014 को जिला उपभोक्ता फोरम की शरण ली और मैरिको लिमिटेड जलगांव व पारस फॉर्मास्युटिकल्स गुडगांव के साथ काबुलीवाला भोपाल के विरुद्ध परिवाद पेश किया। सुनवाई के दौरान पता चला कि संबंधित उत्पाद नकली है। इसके बाद फोरम ने काबुलीवाला भोपाल के विरुद्ध नकली सामान बेचने को सेवा में कमी मानते हुए हर्जाना देने के आदेश दिए।
तीन साल चला मामला
जिला उपभोक्ता फोरम ने करीब तीन साल तक मामले की सुनवाई की और इसे दुकान द्वारा सेवा में की गई कमी मानते हुए उपभोक्ता के पक्ष में आदेश दिया। इस मामले को फोरम के अध्यक्ष आलोक अवस्थी,सदस्य सुनील श्रीवास्तव और डॉ. मोनिका मलिक ने क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के लिए 2000 रुपए देने का आदेश दिया।
सवाल अब भी शेष है
यह तो एक मामला था जिसमें दोष प्रमाणित हो गया परंतु अब क्या इस संभावना से इंकार किया जा सकता है कि काबुलीवाला ने और दूसरे ग्राहकों को भी नकली उत्पाद नहीं बेचा होगा। सवाल यह है कि जब काबुलीवाला के खिलाफ नकली उत्पाद बेचने का मामला प्रमाणित हो गया तो संबंधित कंपनियों ने उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। प्रशासनिक अफसर ऐसे मामलों में चुप क्यों रहते हैं। क्या नापतौल विभाग के अधिकारी नकली उत्पाद बेचने वालों से रिश्वत प्राप्त करते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। देखते हैं, इस मामले के खुलासे के बाद क्या कुछ कार्रवाई होती है।