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मोदी सरकार के मंत्रियों ने निजी तौर पर पंजाब की नई कांग्रेस सरकार को सलाह दी कि लाभ के पद से जुड़ा नियम किसी मंत्री को उस पद पर बने रहने की इजाजत नहीं देता जो उसे वित्तीय फायदा या लाभ का मौका देता हो। लाभ के पद का नियम केंद्र सरकार के लिए बिल्कुल स्पष्ट है और यह राज्यों के लिए भी उतना ही वैध है। पिछले उदाहरणों का जिक्र करते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि लाभ के पद के नियमों के तहत अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने वर्ष 2014 में मोदी सरकार में मंत्री बनने के बाद वकालत करने का अपना लाइसेंस सौंप दिया था।
बाबुल सुप्रियो ने भी भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री बनने के बाद वाणिज्यिक पार्श्वगायन छोड़ दिया था। ऐसा ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को करने को कहा गया था जब वे संप्रग सरकार में मंत्री बने थे। उस समय वे कंपनियों में निदेशक पद पर थे।
सूत्रों के अनुसार कोई ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि मंत्री कहे कि शाम छह बजे के बाद या वीकेंड पर वह क्या करता है, उसके लिए वह किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है। यह नियम सांसद या विधायक पर लागू हो सकता है, मंत्रियों पर नहीं।
क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने पिछले हफ्ते हास्य शो द कपिल शर्मा शो पर अपनी साप्ताहिक उपस्थिति जारी रखने की बात कही थी। उनका कहना था कि वे शूटिंग के लिए हर शनिवार मुम्बई चले जायेंगे और रविवार को पंजाब लौट आयेंगे।
कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी राय रखते हुए कहा कि मंत्री पद एक फुल टाइम जिम्मेदारी है। इसके रहते किसी और काम की जिम्मेदारी नहीं ली जा सकती है। सिद्धू के सामने दो ही विकल्प है। अगर वे कॉमेडी शो पर आना चाहते हैं तो मंत्री पद छोड़े या फिर शो छोड़े।
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर बुधवार को दिल्ली में थे। एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि वे मंत्री रहते हुए सिद्धू के टीवी चैनल पर शो जारी रखने की वैधता को लेकर कानूनी राय ले रहे हैं। पिछले सप्ताह ही सिद्धू ने पंजाब सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी।
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि सिद्धू का कद कम आंकने के लिए ही उन्हें कम महत्ता वाला विभाग स्थानीय निकाय दिया गया था। यही वजह है कि अपना विरोध जताने के लिए वे टीवी पर शो जारी रखना चाहते हैं।