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आगे ये भी कहा गया, "सभी कंपनियों को मौजूदा सब्सक्राइबर्स को एडवर्टिजमेंट-एसएमएस के जरिए वेरिफिकेशन के बारे में बताना होगा। कंपनियों को इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में सभी मोबाइल यूजर्स की आइडेंटिटी वेरिफिकेशन को लेकर ऑर्डर दिया था। कोर्ट ने ये भी कहा था, "आज से एक साल के अंदर मौजूदा मोबाइल सब्सक्राइबर्स का वेरिफिकेशन कंप्लीट हो जाना चाहिए।
टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने क्या कहा?
ऑपरेटर्स आपसी सहमति से एक कॉमन डिवाइस इको-सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे। इससे लोगों को लंबी कतार और परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सीओएआई ने कहा, "इंडस्ट्री इस फैसले का सपोर्ट करती है। लेकिन इस पूरी कवायद पर करीब एक हजार करोड़ का खर्च आएगा। साथ ही इसके लिए ट्रेनिंग भी देनी पड़ेगी। सीओएआई के डीजी राजन मैथ्यूज ने कहा, "फेक सब्सक्राइबर्स का अब कोई मुद्दा नहीं रहा। हम वेरिफिकेशन को तय सीमा (एक साल) में करने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं कर पाए तो फिर सरकार से थोड़ा एक्सटेंशन मांगेंगे।