सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। जिले में शौचालय निर्माण कार्य किये जाने के नाम पर लगभग 10 करोड रूपये का घोटाला प्रकाश में आया है। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब बैहर विधायक संजय उइके ने विधानसभा में बालाघाट जिले में शौचालय निर्माण कार्यों में गडबडी किये जाने का मामला उठाया था। जिले में निर्मल भारत अभियान के तहत वर्ष 2010 से 2014 के बीच हितग्राहीयों के घरों में शौचालय का निर्माण कराया जाना बताया गया था लेकिन वास्तविकता यह पाई गई की घरों में शौचालय का निर्माण ही नही हुआ लेकिन कागजों में ही हितग्राहीयों के घरों में निर्माण कार्य किया जाना दर्शाकर उसकी सीसी भी जारी कर दी गई।
निर्मल भारत अभियान के तहत जिले के ग्रामीण अंचलों में शौचालय निर्माण कार्य के नाम पर मात्र गड़डे खोद दिये गये तो कही कागजों में ही शौचालय निर्माण किया जाना बता दिया गया। यह उल्लेखनीय है कि निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण किये जाने हेतु भौतिक सत्यापन किये जाने के लिये जिला स्तर पर जिला संमन्वयक और ब्लाक स्तर पर ब्लाक समंन्वयक बनाये गये थे इसके बावजूद शौचालय निर्माण के नाम करोडों रूपये का घोटाला कर दिया गया।
इस घोटाले के प्रकाश में आते ही जिन ग्रामीणों के घरों में शौचालय का निर्माण किया गया था अब उसकी जांच की जा रही है। बताया गया है की वर्ष 2012 से 2014 के बीच में शौचालय निर्माण कार्य के मामले में सबसे ज्यादा गोलमाल किया गया है। श्रीमति मंजूषा राय मुख्य कार्यापालन अधिकारी जिला पंचायत बालाघाट के अनुसार जिले में शौचालय निर्माण कार्य की जांच की जा रही है ग्राम स्तर पर प्रत्येक शौचालय का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है प्रांरभिक जांच में अभी तक 9 करोड 50 लाख रूपयों का अंतर आया है।
यह उल्लेखनीय है कि शौचालय निर्माण के नाम पर हुये घोटाले का खुलासा 1 वर्ष पहले ही गया था जो भोपाल से आये जांच दल द्वारा की गई जांच में उजागर हुआ था जांच दल ने वर्ष 2016 मंे जिले में पहुचकर शौचालय निर्माण की जांच की थी जांच में 18342 शौचालयों का निर्माण नही होना पाया गया तथा 349 हितग्राहीयों के आवास मंे ताला लगा पाया गया और 308 हितग्राही गांव में मौजूद ही नही थे।
जांच दल ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी जिसके आधार पर प्रशासन ने संबधित पंचायत के सरपंच सचिव को जिम्मेदार मानते हुये उनके विरूद्ध वसूली की कार्यवाही आदेशित करते हुये आरआरसी जारी कर दी।
ज्ञात हुआ है कि शौचालय निर्माण के नाम पर वर्ष 2010-11 में 62 लाख 92 हजार, वर्ष 2011-12 में 1 करोड 89 लाख 34 हजार 400 रूपये और वर्ष 2012-13 में 1 करोड 30 लाख 27 हजार 200 रूपय, वर्ष 2013-14 में 95 लाख 58 हजार 800 रूपये और वर्ष 2014-15 में 87 लाख 40 हजार रूपये का फर्जीवाडा किया गया है।
इतना ही नही 2761 अपूर्ण शौचालय के नाम पर 88 लाख् 35 हजार 200 रूपये की राशि आहरित कर ली गई। इसी तरह 657 फर्जी शौचालय के नाम पर 21 लाख 2 हजार 400 रूपये की राशि गलत तरिके से आहरित कर ली गई।