ग्वालियर। घाटीगांव एसडीएम विनोद सिंह पर गंभीर आरोप लगा है। उन्होंने अपनी कोर्ट से एक ऐसा फैसला सुना दिया जो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुना सकता था। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, फिर भी एसडीएम ने उसकी सुनवाई की और फैसला दे डाला। अब एसडीएम साहब जांच की जद में आ गए हैं। अपर कलेक्टर रुचिका चौहान मामले की जांच कर रहीं हैं। मामला एक ऐसी विवादित जमीन का है जिसे 1970 में सरकारी मानकर पट्टे पर दे दिया गया था।
एसडीएम विनोद सिंह पर आरोप हैं कि उन्होंने बरई ग्राम का 47 साल पुराना जमीन विवाद जो हाईकोर्ट में विचाराधीन है, उसे पहले नियम विरूद्ध तरीके से अपने राजस्व न्यायालय में सुनवाई के लिए चलाया और बाद में उस मामले में जमीन पर खड़ी फसल को नीलाम कराने का निर्णय ले लिया। आरोप है कि इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को है और एसडीएम को इस तरह फसल नीलाम कराने का अधिकार ही नहीं है।
कलेक्टर के पास आई शिकायत में बताया है कि बरई ग्राम में नौनंदा तालाब के नाम से 141 बीघा जमीन के पट्टे वर्ष 1970 में तात्कालीन कलेक्टर ने एससी वर्ग के लोगों को दिए थे। तात्कालीन कलेक्टर के इस निर्णय के खिलाफ एक दूसरे वर्ग के लोगों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इस बीच इस जमीन विवाद को लेकर वर्ष 1997 में मदनलाल जाटव नाम के व्यक्ति की हत्या भी हो गई थी, जिससे बरई ग्राम में दो समुदायों के बीच वर्ग संघर्ष की स्थिति भी उत्पन्न हो गई थी। यह मामला तभी से हाईकोर्ट में चल रहा है।
इस बीच एसडीएम घाटीगांव विनोद सिंह ने कुछ लोगों के आवेदन पर इस प्रकरण को अपने राजस्व न्यायालय में सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्होंने इस जमीन को शासकीय मानते हुए इस पर खड़ी मसूर और गेहूं की एक लाख रूपए कीमत की फसल नीलाम करा दी। शिकायत में बताया है कि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को है। मामले की गंभीरता देखकर कलेक्टर डॉ.संजय गोयल ने अपर कलेक्टर रूचिका चौहान को पूरे मामले की विस्तार से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
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घाटीगांव एसडीएम विनोद सिंह द्वारा किसी जमीन विवाद में फैसला देने की शिकायत आई है। बताया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में दखल दिया है। इसलिए हम इसकी जांच करा रहे हैं। अगर शिकायत सहीं पाई गई तो निश्चित तौर पर घाटीगांव एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.संजय गोयल, कलेक्टर, ग्वालियर