
महाराष्ट्र के रहने वाले 37 वर्षीय खत्री ने कहा कि किताब में विवादित पैरा साल 2013 के एडिशन में आया था, लेकिन बाद में इसके दूसरे एडिशन में इस पैरा को हटा दिया गया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने साल 2013 के एडिशन की कॉपियां, जितना संभव था, उतनी बदल दी थीं। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह ऐसा लग रहा है कि मैंने किसी की हत्या कर दी है। मेरी जिंदगी को खतरा है, मैं डरा हुआ हूं।’
उन्होंने बताया कि उन्हें पिछले महीने में उन्हें मांडला जिले में एक पुलिस स्टेशन में बुलाया गया था। साथ ही उन्होंने बताया, ‘मैंने हाथ जोड़कर कुछ लोगों से माफी मांगी थी और पुलिस को भी लिखित में माफी लिखकर दी थी। सब कुछ ठीक था लेकिन इस एक लाइन में मेरी जिंदगी बरबाद कर दी।’ खत्री का कहना है कि उन्होंने 20 किताबें लिखी हैं। उन्होंने साथ ही बताया कि 2013 के एडिशन की 300 कॉपियां बिकी थी। हमने जो कॉपियां वापस मंगवाई थी, उन्हें जला दिया था।
विपक्ष के नेता अजय सिंह द्वारा सदन में मामला उठाए जाने के बाद सरकार ने यह कार्रवाई की। सिंह ने कहा था कि यह गौंड जनजाति का अपमान है। सिंह ने कहा था, किताब ‘भारत का भूगोल’ पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के बीच बांटी गई थी। जब सिंह ने सदन में यह विवादित पैरा पढ़ा था तो कांग्रेस विधायकों ने शेम-शेम के नारे लगाए थे। सिंह ने खत्री के खिलाफ कार्रवी की मांग की थी।