अधिकारी खुद को बचाने, कैलाश विजयवर्गीय और रूपा गांगुली को फंसा रहे हैं: NCPCR

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में सामने आए मासूम बच्चों की तस्करी के मामले में बाल आयोग सदस्य प्रियंक कानूनगो का कहना है कि इस मामले में कुछ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। उन्होने खुद को बचाने के लिए भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और रूपा गांगुली का नाम जोड़कर जांच को भटकाने की कोशिश की है। नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) की जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। जलपाईगुड़ी मामले में बाल आयोग की टीम को शुरुआत से ही गड़बड़ियों की आशंका थी। आयोग की टीम 7 मार्च को जलपाईगुड़ी पहुंच गई थी। सूत्रों के मुताबिक आयोग की टीम ने दौरे से पहले ही जिला प्रशासन को पत्र भेजकर अपने आने की जानकारी दी गई थी और 13 बिन्दुओं पर जवाब मांगा था। लेकिन आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो के मुताबिक जिला प्रशासन ने उन्हें न तो जानकारी मुहैया कराई और ना ही किसी किस्म का सहयोग किया।

कानूनगो ने कहा कि अगस्त 2015 से पहले डेढ़ साल तक वहां चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी (सीडब्लूसी) नहीं थी और इस दौरान डिस्ट्रक्ट  चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर को चार्ज दिया गया था और एक अस्थाई कमेटी बनाई गई थी। लेकिन कमेटी का कोई वैधानिक नोटिफिकेशऩ नहीं दिया गया। इन डेढ़ साल में कितने बच्चों को गोद लेने के लिए लीगली फ्री घोषित किया गया है उसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। कमिशऩ का मानना है कि इसमें कई अधिकारी शामिल हो सकते हैं। कमिशन अब उत्तरी बंगाल के सभी जिलों की जांच करेगा जिन्हें ट्रैफिकिंग प्रोन माना जाता है।

वहीं, जलपाईगुड़ी मामले में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय और रूपा गांगुली का नाम आने के बारे मे पूछे जाने पर आयोग के सदस्य ने कहा कि जिला प्रशासन और बंगाल सरकार ने उन्हें ऐसे किसी बयान का दस्तावेज नहीं दिखाया है जिसके बलबूते ये कहा जाए कि इस रैकेट में किसी राजनीतिक हस्ती की भूमिका है। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि उन्हें लगता कि चूंकि इस मामले में राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर शिंकजा कसा जा सकता है लिहाजा मामले को राजनीतिक रंग देकर जांच को भटकाने की कोशिशें हुई हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!