नई दिल्ली। नोटबंदी के दौर में पेटीएम और मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान के नाम पर रिलायंस जियो ने खुलेआम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो अपने विज्ञापनों में छापा। तत्समय ही आपत्तियां भी आईं लेकिन ना तो दोनों कंपनियों ने अपने विज्ञापन अभियान बंद किए और ना ही सरकार ने उन्हे ऐसा करने से रोका। अब करोड़ों की कमाई हो जाने के बाद सरकार ने धीरे से एक नोटिस जारी किया और दोनों कंपनियों ने चुपके से माफी मांग ली। सवाल यह है कि मोदी की फोटो लगाकर लोगों में भ्रम पैदा करके करोड़ों का कारोबार करना क्या माफी योग्य गुनाह है।
बता दें कि रिलायंस ने जियो की लॉन्चिंग के समय पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीरों का उपयोग करते हुए विज्ञापन अभियान चलाया। उसी समय इसका विरोध भी हुआ। बताया गया कि बिना अनुमति इस तरह के प्रधानमंत्री के फोटो का कारोबारी उपयोग नहीं किया जा सकता परंतु ना तो पीएमओ ने अभियान रोकने को कहा और ना ही रिलायंस ने रोका। उल्टा आपत्ति के बाद टीवी पर भी मोदी के वीडियो के साथ रिलायंस जियो का विज्ञापन चलाया जाने लगा। विज्ञापन कुछ इस तरह से तैयार किया गया था कि लोगों को भ्रम हुआ कि रिलायंस जियो का उत्पाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान का हिस्सा है।

पेटीएम ने भी ऐसा ही किया। नोटबंदी के समय अवसर का लाभ तो उठाया ही। तमाम अखबारों में प्रधानमंत्री मोदी के बड़े बड़े फोटो के साथ विज्ञापन जारी किए। इन विज्ञापनों ने लोगों में भ्रम पैदा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने विकल्प दिया है 'एटीएम नहीं पेटीएम करो'। देखते ही देखते देश भर में 20 करोड़ खाताधारक पेटीएम से जुड़ गए और 10-10 रुपए का मोबाइल रिचार्ज करने वाली कंपनी भारत की सबसे बड़ी आॅनलाइन वालेट बन गई।
सबकुछ सानंद सम्पन्न हो जाने के बाद पीएमओ ने दोनों कंपनियों को नोटिस जारी किए। पूछा कि आपने बिना अनुमति प्रधानमंत्री का फोटो क्यों उपयोग किया। दोनों कंपनियों ने माफी मांग ली और बात खत्म हो।