
यूपी में कांग्रेस ने सपा के साथ समझौते के तहत 105 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कई सीटों पर गठबंधन के बावजूद सपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार खड़े थे। बावजूद इसके कांग्रेस केवल 7 सीटें ही मिली और वो छोटे दल अपना दल जैसी पार्टियों से भी पिछड़ गई। अपना दल को भाजपा ने 12 सीटें दी थी, जिसके में उसने 9 सीटों पर जीत हासिल की लेकिन कांग्रेस उनसे भी पिछड़ गई। कांग्रेस ने मात्र 7 सीटें जीतकर शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के साथ गठबंधन का भुगतान समाजवादी पार्टी को भी करना पड़ा है। सत्ता में रही सपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा और सपा-कांग्रेस गठबंधन को मात्र 54 सीटें मिली।
कांग्रेस के साथ गठबंधन कर समाजवादी ने वहीं गलती की, जो साल 2016 में तमिलनाडु में डीएमके ने की थी। डीएमके ने साल 2016 में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और उसे 41 सीटें दी। 232 सीटों वाली तमिलनाडु विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस को मात्र 8 सीटों पर जीत हासिल हुई। कांग्रेस के साथ डीएमके की इस साझेदारी की वजह से एआईएडीएके को फायदा हुआ और तमिलनाडु में जीत हासिल की। ऐसी ही ठीक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ हुआ और पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा।