भोपाल। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने प्रदेश के ढाई लाख से ज्यादा पेंशनरों को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने की घोषणा तो कर दी, पर इसका फायदा फिलहाल नहीं मिलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में सातवें वेतनमान को लेकर प्रावधान नहीं किया गया है। इसके बिना प्रदेश सरकार पेंशन में वृद्धि नहीं कर सकती है। यही वजह है कि पेंशन को छोड़कर अधिकारियों-कर्मचारियों का वेतनमान नए सिरे से तय करने की प्रक्रिया वित्त विभाग ने शुरू कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने बजट में अधिकारियों- कर्मचारियों के लिए सातवें वेतनमान का प्रावधान तो कर दिया, लेकिन पेंशनरों के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इसके पीछे कारण छत्तीसगढ़ की सहमति नहीं मिलना ही था।
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वेतन बढ़ाना सरकार का अधिकार है, लेकिन पेंशन के मामले में प्रदेश सरकार अकेले फैसला नहीं कर सकती है। जब तक छत्तीसगढ़ सरकार सहमति नहीं दे देती है, तब तक सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन बढ़ाने और एरियर्स देने के तरीके पर निर्णय हो पाएगा। यही वजह है कि नए सिरे से वेतनमान तय करने की प्रक्रिया से पेंशनरों को अलग कर दिया है।
छग में हैं 55 हजार पेंशनर
पेंशनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष गणेशदत्त जोशी ने बताया कि पेंशनरों की पेंशन बढ़ने का मामला अटक गया है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 3 लाख के आसपास पेंशनर हैं। इसमें करीब 55 हजार छग में हैं। स्टेट ऑर्गनाइजेशन एक्ट के तहत जब तक छत्तीसगढ़ सरकार सातवां वेतनमान देने का फैसला नहीं कर लेती है तब तक नए सिरे से पेंशन का निर्धारण नहीं हो सकता है। प्रदेश सरकार ने भी बजट में पेंशनरों के लिए सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन बढ़ाने का औपचारिक प्रावधान नहीं किया है।