भोपाल। केरल के मुख्यमंत्री का सिर काटकर लाने वाले को 1 करोड़ के इनाम की घोषणा करने वाला आरएसएस का प्रचारक एवं पदाधिकारी डॉ. कुंदन चंद्रावत मप्र के मलेरिया विभाग का कर्मचारी भी है। आरएसएस में प्रचारक वो होते हैं तो अपना परिवार त्यागकर सारा समय, 24 घंटे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का काम करते हैं। यदि चंद्रावत सारा समय आरएसएस की सेवा में दे रहा था तो मप्र शासन की ओर से वेतन क्यों दिया जा रहा था।
मप्र कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने डॉ. कुंदन चंद्रावत मामले में कई सवाल उठाए हैं। मिश्रा ने सुनियोजित तरीके से उन्हें पद से हटाये जाने को लेकर तंज कसा है। मिश्रा ने कहा कि जो संगठन कभी गठित ही नहीं हुआ, उसमें से किसी को हटाया कैसे जा सकता है।
मलेरिया विभाग में बतौर निरीक्षक काम करने वाला एक सरकारी मुलाजिम आरएसएस में शामिल होकर काम, किन सरकारी सेवा शर्तों के तहत क्यों, किसलिए और कैसे कर रहा है...? मिश्रा ने कहा कि भगवा आतंकवाद में नाम व चरित्र सामने आ जाने के बाद उक्त सभी बम विस्फोटों से जुड़े नामों को लेकर 10 जनवरी, 2011 को भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी सफाई देते हुए सूरत (गुजरात) में कहा था कि ‘‘संघ में कुछ कट्टरवादी आ गए थे, जिन्हें निकाल दिया गया है’’ ठीक वैसे ही नाटक का मंचन इस घटना के बाद संघ परिवार रच रहा है।
आखिरकार यह फैशन कब तक चलेगा और अपने गठन के 91 साल बाद भी बिना पंजीयन, संविधान व सदस्यता वाला यह संगठन देश को कब तक धोखा देते रहेगा..?