भोपाल। केंद्र सरकार के निर्देश और विधानसभा में घोषणा के बावजूद मंत्री सूर्य प्रकाश मीणा ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। मंत्री ने अपने व्यापारी मित्र संजय परसाई (मेसर्स नर्मदा मार्केटिंग) को लाभ पहुंचाने के लिए नियम विरुद्ध एमपी एग्रो के माध्यम से 10 करोड़ की खरीदी का आर्डर दिलवाया। यह खुलासा प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मध्यप्रदेश की राजनीति से जुड़े अक्षय हुंका, पारस सकलेचा, विनायक परिहार और विजय वाते ने किया है।
क्या है पूरा मामला:
अक्षय हुंका का आरोप है कि बीते 8 दिसंबर 2016 को भाजपा विधायक अनिल फिरोजिया के ध्यानाकर्षण के जवाब में राज्यमंत्री सूर्य प्रकाश मीणा ने केन्द्र शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा था कि विभागीय योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफिसरी ट्रांसफर से मुक्त किया जाना, प्रदेश के कृषकों के हित में नहीं है। उस ध्यानाकर्षण के दौरान फिरोजिया ने आरोप लगाया था कि जब तक डायरेक्ट बेनिफिसरी ट्रांसफर लागू है, तो आलू और धनिया खरीदने के लिए दो कंपनियों को आर्डर कैसे दिए गए, क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है। इस बात पर राज्यमंत्री मीणा ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी।
हुंका के अनुसार 30 जनवरी 2017 को संचालनालय उद्यानिकी के पत्र (क्रमांक आर.के.वी.वाय/स.श्रे.वि./2016.17/४५४) में विधानसभा की घोषणा के विपरीत कहा गया था कि सब्जी, बीज एवं अन्य आदान सामग्री का आदान विभाग कृषकों को प्रदाय करने के लिए मध्य प्रदेश एग्रो के माध्यम से खरीदेगा। 1 मार्च 2017 को एमपी एग्रो के सीहोर जिला प्रबंधक के द्वारा उप महाप्रबंधक को सहायक संचालक उद्यान सीहोर के पत्र 2170 का हवाला देते हुए मेसर्स नर्मदा मार्केटिंग से किसानों को प्रदाय करने के लिए सामग्री खरीदने के लिए कहा गया।
हुंका ने आरोप लगाया है कि स्पष्ट तौर पर केन्द्र के निर्देशों को दरकिनार करते हुए विभागीय योजना में से डायरेक्ट बेनिफिसरी ट्रांसफर खत्म करते हुए मंत्री मीणा ने नर्मदा मार्केटिंग को फायदा पहुंचाया। साफ तौर पर किसानों के हित को ताक पर रखते हुए उन्होंने एक व्यवसायी को फायदा पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार किया।
मंत्री और व्यवसायी में है नजदीकियां
स्पष्ट तौर पर केंद्र के निर्देशों को दरकिनार करते हुए विभागीय योजना में से DBT खत्म करते हुए मंत्री ने नर्मदा मार्केटिंग को फायदा पहुंचाया है। किसानों के हित को ताक पर रखते हुए उन्होंने एक व्यवसायी को फायदा पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार किया है। मंत्री की व्यवसायी से नजदीकियां इस बात से ही स्पष्ट हो जाती हैं कि 2-फरवरी को सीहोर जिले के एक सरकारी कार्यक्रम में व्यवसायी संजय परसाई ने मंत्री के साथ मंच साझा किया था। एक निजी व्यवसायी का सरकारी कार्यक्रम में मंत्री के साथ मंच साझा करना और उसके 1 माह के भीतर ही उस व्यवसायी को सारे नियम कायदे ताक पर रखकर 10 करोड़ का काम दिया जाना साफ़ इशारा करता है है कि दाल में कुछ काला है।
विचार मध्यप्रदेश मंत्री जी से यह पूंछना चाहता है कि:
केंद्र शासन के निर्देशों के विरुद्ध DBT को हटाकर एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के पीछे क्या स्वार्थ है? जब उनकी पार्टी के ही विधायक द्वारा इस प्रकार के एक घटना का उल्लेख विधानसभा में किया गया था तो उसके बाद भी ऐसी घटना की पुनरावृत्ति कैसे हुई? किस अधिकार से व्यवसायी संजय परसाई ने सिहोर जिले के सरकारी कार्यक्रम में मंत्री जी के साथ मंच साझा किया था? केंद्र शासन के निर्देशों के विरुद्ध विभागीय योजना से DBT हटाने के कारण यदि आगामी वित्तीय वर्ष में केंद्र द्वारा सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?