
कल सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था ?
सुब्रमण्यम स्वामी– भूमि विवाद पर हाईकोर्ट का फैसला आये 6 साल हो गए लेकिन अबतक कुछ नहीं हुआ। आप जल्द से जल्द फैसला करें।
चीफ जस्टिस खेहर- मामला काफी संवेदनशील है। इस तरह के मसलों का हल आपसी सहमति से होना चाहिए। अगर दोनों पक्ष, बातचीत के लिए तैयार हो जाएं तो मध्यस्थता के लिए मैं खुद भी तैयार हूं।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का बीजेपी और सरकार ने भी स्वागत किया, लेकिन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने कहा कि उसे इस बात का कतई भरोसा नहीं है कि कोर्ट के बाहर उसे इंसाफ मिल सकेगा लिहाजा इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी फैसला करे। मतलब अयोध्या विवाद फिर से उसी मुकाम पर पहुंच गया जहां 6 साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद पहुंचा था।
हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. कोर्ट के फैसले के मुताबिक राम मूर्ति वाला हिस्सा रामलला विराजमान को, राम चबूतरा और सीता रसोई का हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था।
अटका हुआ है मामला!
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या विवाद का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने का सुझाव दिया लेकिन नतीजा सिफर। अयोध्या विवाद के बाद बनने वाले देश के हर प्रधानमंत्री ने इस मसले को कोर्ट से बाहर आपसी सहमति के आधार पर सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन मामला इतना पेचीदा और संवेदनशील है कि विवाद से जुड़े दोनों पक्ष कभी एक राय पर नहीं पहुंच पाए।