लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी में मीट की दुकानों के लाइसेंसों का नवीनीकरण न किए जाने और नवीनीकरण विचाराधीन रहने के दौरान बिना किसी आदेश के दुकानें बंद कराने पर राज्य सरकार और नगर निगम से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस प्रकरण में उसका रुख क्या है। नगर निगम को भी तीन दिन में यह बताने को कहा है कि मीट की दुकानों के लाइसेंसों का नवीनीकरण क्यों नहीं किया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने नगर निगम से यह भी पूछा है कि बिना किसी प्रशासनिक या कार्यकारी आदेश के मीट की दुकानों को किस नियम के तहत बंद कराया जा रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम को तीन अप्रैल तक अपना जवाब पेश करने का आदेश दिया है। जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने यह आदेश शहाबुद्दीन व नौ अन्य दुकानदारों की ओर से 2015 में दायर एक विचाराधीन याचिका पर पारित किया।
याचिका में नगर निगम पर आरोप लगाया गया कि दुकानदारों को पूर्व में लाइसेंस जारी था, जिसकी समयावधि 2015 में समाप्त हो गई थी। इसके बाद याची दुकानदारों ने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए अर्जी दी, जिस पर नगर निगम ने अब तक निर्णय नहीं लिया है। इस बीच जबरन दुकानें बंद कराई जा रही हैं, जबकि इसके लिए कोई आदेश भी सक्षम अधिकारियों की ओर से पारित नहीं किया गया है।
याचियों के वकील गिरीश चंद्र सिन्हा के मुताबिक याची दुकानदारों ने नगर निगम से कई बार अपने दुकानों के लाइसेंसों के नवीनीकरण के लिए अनुरोध किया लेकिन निगम द्वारा यह कहते हुए मना कर दिया गया कि नेशनल ग्रीन टिब्युनल के दिशा-निर्देशों के अनुसार निगम के पास स्लाटर हाउस नहीं हैं।