इलाहाबाद। रियल एस्टेट में ऐसा अक्सर होता है। बिल्डर्स परमिशन 100 यूनिट की लेते हैं और उसकी आड़ में 300 यूनिट बनाकर बेच देते हैं। ग्रेटर नोएडा के सुपरटेक प्रॉजेक्ट में भी ऐसा ही हुआ। परमिशन 844 फ्लैट्स की थी परंतु कंपनी ने 1904 फ्लैट बुक कर लिए। फिर उनका निर्माण भी कर डाला। मामला जब हाईकोर्ट में आया तो कोर्ट ने अवैध रूप से बने हुए 1060 फ्लैट को सील करने के आदेश दे दिए।
यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने वी के शर्मा व 8 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में कहा गया है कि, ग्रेटर नोएडा के प्लाट जीएच 2 सेक्टर ओमनी क्रॉन 1 में सुपरटेक जार शूट योजना के तहत 2007 में 844 फ्लैट्स का नक्शा पास कराया गया, लेकिन 1904 फ्लैट्स बना लिए गए। ये फ्लैट बिना नक्शा पास कराए और बिना अनुमति के बना दिए गए।
याचिका पर सुनवाई करते हुए पहले कोर्ट ने कहा था कि, फ्लैट्स का आवंटन न किया जाए और यदि आवंटन हो गया है तो उनका कब्जा न दिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि, जिन्होंने आवंटन व कब्जा ले लिया है उनका हक याचिका के फैसले पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के सक्षम अधिकारी को याचिका की सुनवाई के समय मौजूद रहने का निर्देश भी दिया था।