महाबलि हनुमान ने शिवराज सरकार पर ठोका 1 करोड़ का दावा

Bhopal Samachar
गुना। श्रीराम भक्त, पवनपुत्र, महाबलि हनुमानजी ने मप्र की शिवराज सरकार पर 1 करोड़ का दावा ठोका है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक पिटिशन दायर की गई है। इसमें हनुमानजी की ओर से बताया गया है कि उनके प्राचीन मंदिर के पास सरकार ने 13 खदानों की स्वीकृति दे दी है। खदानों में आए दिन ब्लास्ट होते हैं, इससे प्रतिमा में दरार आ गई है। मंदिर खतरे में हैं और नुक्सान हो गया है। अत: मंदिर के पास चल रहीं खदानों को बंद कराया जाए एवं क्षतिपूर्ति स्वरूप 1 करोड़ रुपए हर्जाना दिया जाए। 

मामला मध्यप्रदेश के गुना जिले के पिपरौदा खुर्द गांव के ललुआ टोरा धाम के हनुमान मंदिर का है। जहां के हनुमान जी के नाम से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक पिटिशन दायर की गई है। ये पिटिशन हनुमान जी के नाम से दायर की गई है। साथ ही हर्जाने के तौर पर एक करोड़ भी मांगे गए हैं। मंदिर के पुजारी देवेंद्र भार्गव हैं। 

पिटिशन के मुताबिक, मंदिर के आसपास की चरनोई भूमि पर 2008 के बाद माइंस की लीज देने का सिलसिला शुरू हुआ। आज हालत यह है कि यहां 13 खदानें हैं, जिनमें से कई 50 से 70 फीट तक गहरी हैं। 2 अप्रैल 2017 को पत्थर निकालने के लिए की गई ब्लास्टिंग से प्रतिमा में दरारें भी आ गईं। एनजीटी में दायर पिटिशन में लिखा है कि "मैं, अंजनि पुत्र हनुमान। ग्रीन ट्रिब्यूनल से विनती करता हूं कि मेरे मंदिर के आसपास चल रही पत्थरों की खदानों को तुरंत बंद कराया जाए। इन खदानों में ब्लास्टिंग पर रोक लगे। इन्हें मिट्टी से ढका जाए। क्योंकि उनमें ब्लास्ट से मेरी प्रतिमा में दरारें आ गई हैं। मेरे पुजारी के बार-बार मना करने के बावजूद मंदिर से 30 फीट दूरी पर 80 फीट गहरी खाई बना दी गई है, जिससे मेरा अनादिकाल पुराना मंदिर खतरे में है। मेरे नुकसान की कोई भरपाई तो नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी बतौर हर्जाना मुझे एक करोड़ रुपए दिए जाएं। 

पुजारी के वकील पुष्पराग का कहना है, "चूंकि कानून के मुताबिक भगवान की प्रतिमा को एक व्यक्ति की तरह ही माना जाता है। इसलिए यह अर्जी अंजनि पुत्र हनुमान की तरफ से स्टेट और अन्य 14 के खिलाफ पेश की गई। इसमें राज्य सरकार, 13 खदान संचालक और कलेक्टर को पार्टी बनाया गया है। ट्रिब्यूनल जल्द ही मामले की सुनवाई करेगा।

पिछले साल एक खदान में सात बच्चों की डूबने से हो गई थी मौत
इन खदानों में से एक में पिछले साल नवंबर में सात बच्चों की डूबकर मौत हो गई थी। उस खदान की लीज तो हादसे के बाद खत्म कर दी गई। पर बाकी में माइनिंग जारी है। शहर की सीमा से सिर्फ 2 किमी की दूरी पर मौजूद इन माइंस से इलाके में एनवायरमेंट को भी नुकसान हो रहा है। माइनिंग ऑफिसर आकांक्षा पटेल कहती हैं "18 फीट तक खुदाई के बाद लीज होल्डर्स को इंफोर्मेशन देनी होती है। इससे ज्यादा खुदाई करने वालों ने जानकारी दी होगी। रिन्यू होने पर कलेक्टर तय करेंगे कि उन्हें दोबारा लीज पर देना है या नहीं।

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