
एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पेट्रोल पर उपकरों को बढ़ाकर सरकार अपना राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है। एक समय था जब इसके ऋण का स्तर 4.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया था, अब यह एक ऐसे चरण पर पहुंच गया है जब अतिरिक्त व्यय कोष करने के लिए ऋण में बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकती। अतिरिक्त शुल्क और उपकर ही अब एकमात्र विकल्प हो सकता है।
पेट्रोल की दरों में 3 रुपये के बढ़ोतरी के असर पर लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का कहना है कि इससे तेल की कीमतों पर असर पड़ेगा, विशेष रूप से वस्तु और सेवाओं को दरवाजे पर मुहैया कराने में। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इसका मुद्रस्फीति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये मालवाहक पोत और ट्रांसपोटर्स द्वारा इस्तेमाल में लाया जाने वाला ईंधन नहीं है।