नई दिल्ली। दिल्ली हो या मुंबई महंगाई का मार हर जगह के आम आदमी को झेलना पड़ रहा है। भले ही कच्चे तेल की कीमत और डॉलर-रुपया विनिमय दरों की वजह से तेल कंपनियों के लिए पेट्रोल की कीमत 29.54 रुपए प्रति लीटर हो लेकिन मुंबई में ग्राहक इसके लिए करीब 77.50 रुपए खर्च करते हैं। यहां ग्राहक प्रति लीटर पेट्रोल पर करीब 47.96 रुपए टैक्स के रूप में देते हैं। इससे ग्राहकों को बाजार मूल्य से ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। ग्राहकों द्वारा चुकाए गए अतिरिक्त शुल्क में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य वैट, चुंगी, उपकर और पेट्रोल पंप मालिकों के लिए कमीशन शामिल है जिससे उन्हें कीमत का करीब 153 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है।
एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पेट्रोल पर उपकरों को बढ़ाकर सरकार अपना राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है। एक समय था जब इसके ऋण का स्तर 4.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया था, अब यह एक ऐसे चरण पर पहुंच गया है जब अतिरिक्त व्यय कोष करने के लिए ऋण में बढ़ोत्तरी नहीं की जा सकती। अतिरिक्त शुल्क और उपकर ही अब एकमात्र विकल्प हो सकता है।
पेट्रोल की दरों में 3 रुपये के बढ़ोतरी के असर पर लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का कहना है कि इससे तेल की कीमतों पर असर पड़ेगा, विशेष रूप से वस्तु और सेवाओं को दरवाजे पर मुहैया कराने में। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इसका मुद्रस्फीति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये मालवाहक पोत और ट्रांसपोटर्स द्वारा इस्तेमाल में लाया जाने वाला ईंधन नहीं है।