
राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बनी इस अधिकारी ने भी अब तक कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया है। तीसरे आईएएस अफसर के बारे में तो रिव्यू कमेटी के एक सदस्य का कहना है कि कहीं कोई कानूनी अड़चन न आए तो उनका कंपलसरी रिटायरमेंट का फैसला अब केवल औपचारिकता रह गई है। उनके खिलाफ कई आधार बन गए हैं। ये अफसर पिछले 7 सालों से पहले आयकर, ईओडब्लू और अब ईडी समेत सीबीआई के लपेटे में हैं। रिव्यू कमेटी दो और आईएएस अफसरों के भविष्य पर भी विचार करेगी। दोनों ही एक निगम के घोटाले में फंसे हैं। इनके खिलाफ एक साल पहले कन्वीक्शन की अनुमति मिल चुकी है।
इनके अलावा एक आईएफएस भी हैं। 30 साल की नौकरी पूरी कर चुके इस अफसर के खिलाफ अब तक 4-4 आरोप पत्र जारी किए जा चुके हैं। इन पर प्रोबेशन के समय से ही गड़बड़ी के आरोप थे। यूपीएससी ने ही इन्हें कैडर के सबसे निचले क्रम पर रखने का आदेश दिया है। तब से ये डीएफओ ही बने हुए हैं। जबकि इनके जूनियर एपीसीसीएफ तक बन गए हैं। इन्हें भी वाच लिस्ट में रखा गया है। इसी तरह से एक आईपीएस कैडर में तीसरे सर्वोच्च पद पर कार्य कwर रहे इन अफसर पर एक साल पहले ही मामला प्रकाश में आया है। वे इस समय जांच का सामना कर रहे हैं। इस वजह से उन्हें फिलहाल प्रमोशन भी नहीं दिया गया है।
कुल 137 अफसर कसौटी पर
1981 से 1992 बैच तक के 24 डायरेक्ट आईएएस और 2000 से 07 तक के 58 प्रमोटी आईएएस अफसरों की नौकरी परखी जाएगी। वहीं 1982 से 1992 बैच के 37 से अधिक आईएफएस और करीब 18 आईपीएस अफसरों के भी नाम शामिल हैं। पिछले साल छत्तीसगढ़ से आईपीएस राजकुमार देवांगन और झारखंड के एक-दो आईपीएस अफसरों को नौकरी से निकालने जाने के बाद से इन कमेटियों का महत्व बढ़ गया है।