
मामला मुंबई के वकोला इलाके में वार्ड नंबर 88 का है। वार्ड में 13 उम्मीदवार चुनावी समर में कूदे थे जिनमें निर्दलीय नीलोत्पल मृणाल भी थे। उन्हें महज 375 वोट मिले। सीट शिवसेना के खाते में गई लेकिन अब इलाके के 600 मतदाताओं ने एफिडेविट पर साइन करके, अपने वोटर आईडी की फोटो कॉपी के साथ, नाम, पता, मोबाइल नंबर लिखकर हाईकोर्ट में अर्जी दी है। याचिकाकर्ता ताहिर शेख ने कहा ''मैं खुद काउंटिंग के दिन बैठा था। जब वोट गिने तो मैं बहुत निराश हुआ फिर हमने इलाके के लोगों के साथ बैठक की और तय किया कि कुछ करना है इसलिए हमने पीआईएल दी।
चुनाव हारने के बाद नीलोत्पल मृणाल का दावा है कि उन्होंने बीएमसी से आधिकारिक जानकारी मांगी जिससे उन्हें पता लगा कि कई वॉर्डों में जिन लोगों ने हलफनामे पर सहमति दी उससे कम वोट उन्हें मिले। नीलोत्पल ने कहा ''अगर मुझे हर बूथ से 50-60 वोट मिलते तो शायद पता करने में दिक्कत होती लेकिन 4-5 वोट मिले जहां से दुगुने से ज्यादा लोगों ने मुझे शपथपत्र देकर कहा कि उन्होंने मुझे वोट दिया था। मतदाता जानना चाहते हैं कि मामला ईवीएम में खराबी का है या उसके साथ छेड़छाड़ का। याचिकाकर्ताओं के वकील श्रवण गिरी ने ''कहा याचिका दाखिल हो गई है। किसी भी दिन सुनवाई की तारीख आ सकती है। हम चाहते हैं कि अदालत जांच करवाए कि लोगों के वोट कहां गए?
उम्मीदवार का दावा है कि भले ही 600 लोगों ने हलफनामा दिया हो लेकिन उन्हें वोट करने वालों की तादाद इससे कहीं ज्यादा है। वैसे फैसला हक में आने पर भी वे दुबारा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उधर लोगों की शिकायत है कि उन्हें अपनी पसंद का पार्षद नहीं मिल पाया। जनता की अर्जी है, फैसला अदालत को करना है।