66% हिंदू मुसलमान आपस में दोस्ती करने से कतराते हैं

कहते हैं दोस्ती न धर्म देखती है और न जाति लेकिन हाल में हुआ एक सर्वे काफी चौंकाने वाला है। इस सर्वे के अनुसार अधिकतर हिंदू, मुस्लिमों को अपना दोस्त बनाने से कतराते हैं। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के सर्वे के अनुसार लोग दोस्त बनाने से पहले धर्म को भी तवज्जो देते हैं। इस सर्वे में कहा गया कि हिंदुओं के 91 फीसदी दोस्त उनके अपने समुदाय से होते हैं, जबकि केवल 33 फीसदी मुसलमान ही हिंदुओं के अच्छे दोस्त हैं। 

इसके अलावा सर्वे में ये भी पाया गया कि हर समुदाय के लोग अपने समुदाय के लोगों को ही दोस्त बनाना पसंद करते हैं। सर्वे के अनुसार कुछ जगह के मुस्लिम भी दूसरे समुदायों से मिलना-जुलना ज्यादा पसंद नहीं करते। गुजरात, हरियाणा, उड़ीसा और कर्नाटक का मुस्लिम समुदाय खुद ही दूसरों से अलग रहना पसंद करता है। 

इस सर्वे में ये बात भी सामने आई कि 13 फीसदी हिंदू मानते हैं कि मुस्लिम देशभक्त होते हैं, जबकि 20 फीसदी हिंदू ईसाइयों को देशभक्त मानते हैं। इसके अलावा 77 फीसदी मुसलमान अपने समुदाय को देशभक्त मानते है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 36 फीसदी ईसाई मुसलमानों को, 66 फीसदी सिख हिंदुओं को सच्चा देशभक्त मानते है।

इस सर्वे में और भी कई मुद्दों पर लोगों की राय जानने की कोशिश की गई। सर्वे में सार्वजनिक कार्यक्रमों में भारत माता की जय बोलने पर, राष्ट्रगान के समय खड़े होने पर, गाय के सम्मान और बीफ खाने को लेकर लोगों का नजरिया जानने की कोशिश की गई। इन मुद्दों पर 72 फीसदी लोग मजबूती के साथ खड़े नजर आए। 17 फीसदी लोग कम उदारवादी और 6 फीसदी लोगों ने इस मामले में पूरी तरह से उदारवादी रुख अपनाया। 

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