नई दिल्ली। मप्र का चंबल हमेशा से ही क्रांतिकारी बदलावों का कारण रहा है। जिन EVM मशीनों को तमाम विपक्षी मिलकर नहीं बदलवा पाए, उन्हें चंबल की अटेर विधानसभा ने बदलवा दिया। बागियों की इस सरजमीं पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी पत्रकारों को जेल भेजने की धमकी दे रहीं थीं। उन्हे शायद मालूम नहीं था कि वो जहां खड़ी हैं, वहां जेल तो मामूली बात है। जिद पर आ जाएं तो बहुत कुछ हो जाता है। कल तक चुनाव आयोग जिन EVM मशीनों की गारंटी ले रहा था, अटेर कांड के बाद मान बैठा है कि कुछ तो काला हुआ होगा। अत: फैसला किया गया है कि 9 लाख नई EVM मशीनें खरीदी जाएंगी। ये आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें होंगी। जो इनके साथ छेड़छाड़ की कोशिश होने पर काम करना बंद कर देंगी।
यह कदम एक ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब कई दल हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा चुके हैं। कई नेताओं ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी की है। ‘एम3’ प्रकार की ईवीएम में मशीनों की यथार्थता के प्रमाणन के लिए एक ‘सेल्फ डायग्नोस्टिक सिस्टम’ लगा है। ये मशीनें एक आपसी प्रमाणन प्रणाली के साथ आएंगी। सिर्फ एक ‘सही’ ईवीएम ही क्षेत्र की अन्य ईवीएम के साथ ‘संवाद’ कर सकती है।
इसका निर्माण परमाणु ऊर्जा पीएसयू ईसीआईएल या रक्षा क्षेत्र की पीएसयू बीईएल द्वारा हुआ होना चाहिए। किसी भी अन्य कंपनी द्वारा बनाई गई ईवीएम अन्य मशीनों से संवाद नहीं कर पाएगी। इस तरह गलत मशीन का पर्दाफाश हो जाएगा।
अगले लोकसभा चुनाव से पहले आ सकती हैं ये EVM
विधि मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग की ओर से संसद को उपलब्ध करवाई जाने वाली जानकारी के हवाले से कहा कि नई मशीनें खरीदने के लिए लगभग 1940 करोड़ रुपए (मालभाड़ा और कर के अतिरिक्त) का खर्च आएगा। ये मशीनें वर्ष 2018 में यानी अगले लोकसभा चुनाव से एक साल पहले आ सकती हैं। निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2006 से पहले खरीदी गई 9,30,430 ईवीएम को बदलने का फैसला किया है क्योंकि पुरानी मशीनों का 15 साल का जीवनकाल पूरा हो चुका है।