नई दिल्ली। जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) से अग्रिम निकासी या निकासी के लिए किसी भी दस्तावेज या प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी। यह बात केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कही है। सरकार ने इसकी शर्तों को और सरल व उदार बनाया है जो कि 7 मार्च 2017 से ही अमल में आ चुकी हैं। अब बच्चों की पढ़ाई, बीमारी या फिर उपभोक्ता टिकाऊ सामान की खरीद के लिए फंड से एडवांस में पैसा निकालना आसान होगा।
शिक्षा, बीमारी, आवास, मोटर वाहनों की खरीद के उद्देश्य से निधि से पैसे की निकासी की शर्तें और प्रक्रियाओं को और भी उदार बनाया गया है। लोकसभा में एक लिखित उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा, “अग्रिम और निकासी आवेदनों के लिए अब कोई भी दस्तावेज या प्रमाण प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है। इसमें ग्राहक की ओर से एक समान्य घोषणापत्र ही काफी है।
कार्मिक मामलों के राज्यमंत्री सिंह ने कहा, अग्रिम निकासी या भुगतान के लिए समय सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की ही तरह जीपीएफ पर ब्याज दर बढ़ाने लिए सरकार के पास कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
सिंह ने कहा, “ईपीएफ पर ब्याज दरें सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की सिफारिशों पर तय की जाती हैं, जो कि ईपीएफओ की ओर से किए गए निवेश से वार्षिक आय को ध्यान में रखते हुए तय होती है। जीपीएफ की ब्याज दर वर्तमान में पीपीएफ की ब्याज दर के बराबर तय की गई है।