जीवन मे कोई भी व्यक्ति अकेला कुछ नही कर सकता उसके हर काम घर परिवार तथा समाज के अलावा पंच तत्वों (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) का योगदान रहता है। एक तरह से हर व्यक्ति की उन्नति उसके आसपास उससे जुड़े हुए हर तत्व के सहयोग से होती है।यदि कोई व्यक्ति ये कहे की उसकी सारी सफलता केवल ओर केवल खुद के दम पर है तो वो खुद नही उसका अहंकार बोल रहा है जो परमात्मा को बिलकुल पसंद नही।
पत्रिका मे 12 भाव तथा आप
जन्मकुंडली के 12 भाव मे केवल एक लग्न जिसे प्रथम भाव कहते है वह आपका है इसके अलावा दूसरा भाव आपके कुटुम्ब का है तीसरा भाव भाई बहनों का चौथा भाव जनता तथा माता का पांचवां भाव पुत्र व मित्र का छठा शत्रु का सातवां आपके जीवनसाथी व्यापार मे सहयोगियों का आठवां मृत्यु विदेश यात्रा नौवां भाग्य दसवां पिता कर्मक्षेत्र ओर राज्य का ग्यारहवां लाभ का तथा बारहवें भाव से खर्च दंड और विपत्ति देखी जाती है इस तरह से आप समझ गये होंगे की आपका जीवन अन्य ग्यारह भावों से किस तरह जुड़ा हुआ है।
परिवार का आपस मे भाग्य
व्यक्ति का जीवन कभी एक जैसा नही रहता कोई व्यक्ति जन्म से बहुत कष्ट मे रहता है लेकिन उसका सातवां भाव तथा शुक्र अच्छा हो तो शादी के बाद उसका भाग्य बुलंदियों पर पहुँच जाता है ये उन्नति उसकी पत्नी के भाग्य से होती है वही लड़कियों के मामले मे यदि उनका गुरु अच्छा हो तो शादी के बाद ही उसका भाग्य बदलता है।कई बार शादी के बाद बच्चो के भाग्य से परिवार की किस्मत चमक जाती है।इस तरह यह सम्बन्ध भाई बहन मित्र,राज्य,धर्म विदेश कही से भी हो सकता है बस हमे ये पता रहना चाहिये की हमारी सफलता की चाबी कहा है।
दिशा का योगदान
जीवन को सफल बनाने मे दिशा का महत्वपूर्ण योगदान रहता है हमे ये पता रहना चाहिये की हमारी भाग्यशाली दिशा कौनसी है तब हमे उस दिशा मे ही प्रयास करना चाहिये इससे हम गलत दिशा मे जाकर समय और धन खर्च करने से बचेंगे आत्मविश्वास की वृध्दि होगी सो अलग।
तत्व का योगदान
व्यक्ति पंच महाभूतों(अग्नि,जल,वायु,आकाश,पृथ्वी )से बना है जिस तत्व से आपका भाग्यवर्धक सम्बन्ध रहेगा उस तत्व से आपको सफलता मिलेगी।विपरीत तथा मारक तत्व आपको कष्ट पहुंचा सकते है मानलो आपका तत्व जल है तथा आप अग्नि के क्षेत्र मे प्रयास कर रहे तो आपको हानि होगी तथा कष्ट अलग।
राशियों की शुभ दिशा-सभी राशियों की शुभ और अशुभ दिशा होती है जो इस प्रकार है।
*मेष*-इस राशि के लिये उत्तर दिशा भाग्यवर्धक होती है।
*वृषभ*इस राशि के लिये पश्चिम दिशा भाग्यशाली होती है।
*मिथुन*-इस राशि का भाग्य भी पश्चिम मे उदय होता है।
*कर्क*-इस राशि का भाग्योदय उत्तर दिशा मे होता है।
*सिंह*-इस राशि के लिये दक्षिण दिशा भाग्यशाली होती है।
*कन्या*-इस राशि वालों को पश्चिम मे सफलता मिलती है।
*तुला*-इस राशि वालो को पूर्व मे सफलता मिलती है।
*वृश्चिक*-इस राशि वालों को उत्तर दिशा मे सफलता मिलती है।
*धनु*-इस राशि वालो को पूर्व मे भाग्य उदय होता है।
*मकर*-इस राशि वालों को दक्षिणपूर्व मे सफलता मिलती है।
*कुम्भ*-इस राशि वालों को पश्चिम दिशा मे खास सफलता मिलती है
*मीन*-इस राशि वालों को दक्षिण दिशा मे खास सफलता मिलती है।
*पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"*
9893280184