ज्योतिष मे शुक्र को लक्ष्मी व धन का कारक माना गया है। संसार की समस्त माया भगवान ने शुक्र ग्रह के अधीन कर रखी है। एक तरह से यूँ कहें की सारा प्रपंच भगवान ने इस ग्रह को दे रखा है तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। दैत्यराज़ शुक्र ने ब्राह्मण कुल मे जन्म लिया है। वे प्रकाण्ड विद्वान हैं। भगवान शिव ने उन्हे अपना पुत्र माना है। बार बार दैत्यों को जीवित करने के कारण भगवान शिव उनसे कुपित हो गये तथा उन्हे निगल लिया। कई वर्षों तक वे उनके पेट मे ही रहे बाद मे कृपाकर उन्हे अपने लिंग मार्ग से बाहर कर दिया। हम सभी को ये जानकारी है की किसी भी जीव का जन्म लिंग से निकले वीर्य के द्वारा ही होता है। इसीलिये भगवान शिव ने उन्हे अपना पुत्र माना है।
शिवपूजा से शुक्र ग्रह प्रसन्न होते हैं
भगवान भोलेनाथ अवडरदानी है। तपस्या से प्रसन्न होकर अदेय वर देना भोलेनाथ की ही कृपा है। शुक्र ने उल्टे लटककर धूम्रसेवन के द्वारा शिव की कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हे संजीवनी वर दिया। जिससे वे किसी भी मृत को जीवित कर सकते हैं। साथ ही भगवान शिव ने शुक्र ग्रह को समस्त सम्पदा का मालिक बनाया। इसिलिये शिवपूजा से शुक्र ग्रह प्रसन्न होकर धन सम्पदा प्रदान करते है।
गुरु चरणों मे लक्ष्मी
माया तथा प्रपंच को पुण्य तथा सद्कार्य के अधीन रखते हुए शुक्र ग्रह को देवगुरु व्रहस्पति के अधीन रखा है। इसीलिये गुरु की राशि मीन मे शुक्र ग्रह अपने उच्च राशि मे होता है। गुरुकृपा से ही जातक भगवान शिवकृपा तथा लक्ष्मी पाता है। ज्योतिषनुसार शुक्र और शनि ग्रह मे गहरी मित्रता है। लाल किताब के अनुसार जब कोई ग्रह शनि पर चोट करता है तो शुक्र शनि की जगह अपनी बलि दे देता है। इन दोनो ग्रहों मे आपस मे काफी अच्छी मित्रता है। शुक्र की राशि मे शनि महाराज अपनी उच्च राशि मे रहते है। वही शनि की राशि मे शुक्र ग्रह अच्छी स्थिति मे रहते है।
शुक्र का शनि से प्रेम
शुक्र की राशि वृषभ और तुला मे शनि महाराज परम कारक ग्रह की भूमिका निभाते है वही शनि महाराज की राशियों मकर और कुम्भ मे शुक्र महाराज परम कारक ग्रह की भूमिका निभाते है।दोनो राशी व लग्न मे शनि व शुक्र की दशा अति शुभ परिणाम देती है।शनि व शुक्र की राशी वाले सभी जातक नीलम व हीरा धारण कर सकते है।
कर्म और माया का सिद्धांत
शनि महाराज कर्म के कारक ग्रह माने जाते है सभी प्रकार के कर्म रोज़गार शनि ग्रह की ही दें होती है।पहले आदमी कर्म के द्वारा रोज़ी रोटी कमाते है जब अच्छा काम चलता है तो इसे शनि ग्रह पर शुक्र की कृपा कहते है इससे धीरे धीरे शुक्र महाराज अपनी माया का विस्तार करते है तब ऐशो आराम की चीजे आने लगती है इसे शुक्र ग्रह की माया कहते है।बड़े अमीरों की पत्रिका मे शुक्र तथा शनि ग्रह का खास सम्बंध होता है।
स्त्री से शनि का सम्बन्ध
जगत की सभी स्त्री जाती से शुक्र ग्रह का सम्बंध होता है। इसलिये कई बार देखा जाता है की कई लोगों को लेडी लक कमाल करता है। कई लोगों की शादी होते ही किस्मत खुल जाती है। कई लोगों की स्त्री जगत से जुड़े कार्यों जैसे सराफा,फैशन आदि से भाग्योदय हो जाता है।
शुक्र मे छिपा है शनि
जब तक व्यक्ति के जीवन प्रेम रोमांस नही रहता तब तक वह बेफिक्र जीवन गुजारता है लेकिन जैसे ही व्यक्ति रोमांस शादी विवाह के चक्कर मे पड़ते है वैसे ही जातक को जिम्मेदारी तथा कर्तव्य का अहसास होता है फलस्वरूप जातक धीरे धीरे अनुशासित हो जाता है। इसलिये हम कह सकते है की शुक्र मे ही शनि छिपा होता है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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