नई दिल्ली। लोगों को एक बार फिर एटीएम से कैश निकालने में परेशानी हो सकती है। बैंकिंग सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों को कैश की सप्लाई कम कर दी है। सप्लाई कम होने से बैंक एटीएम में समय रहते कैश डाल नहीं पा रहे हैं। इस वजह से देश के कई शहरों में एटीएम या तो खाली हैं, या उनके शटर डाउन हैं। आरबीआई ने बैंकों के लिए कैश फ्लो 25 फीसदी तक कम कर दिया है। माना जा रहा है यह सब योजना के तहत किया गया है।
दरअसल आरबीआई मार्केट में अतिरिक्त लिक्विडटी कम करना चाहता है। 6 अप्रैल को घोषित मॉनिटरी पालिसी में आरबीआई ने इसका संकेत दे दिया था। सरकार और आरबीआई का मानना है कि मार्केट में कैश फ्लो बढ़ने से लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन कम कर रहे हैं। फिर से कैश से लेन-देन बढ़ गया है। यही कारण है कि आरबीआई कैश की सप्लाई कम करना चाहता है, जिससे लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन की तरफ बढ़ें।
कैश का बोलबाला
नोटबंदी में तो डिजिटल ट्रांजैक्शन ने खूब जोर पकड़ा, लेकिन 4 महीने बाद फिर से कैश ज्यादा चल रहा है। अब डिजिटल ट्रांजैक्शन को फिर से बढ़ाने के लिए कैश की सप्लाई घटा दी गई है। आरबीआई के इस कदम से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। आरबीआई चाहता है कि मार्केट में नोटबंदी के बाद जो लिक्विडिटी बढ़ी है, उसे कम किया जाए, ताकि महंगाई कम हो सके। सूत्रों के अनुसार आरबीआई ने बैंकों के लिए नोटों की सप्लाई कम कर दी है। पश्चिमी-दक्षिण भारत के राज्यों में नकदी की ज्यादा कमी देखने को मिल रही है। कई बड़े सरकारी बैंकों में जमा के मुकाबले निकासी ज्यादा हो रही है। इससे बैंकों में कैश की किल्लत हो रही है। बैंकों के उच्चाधिकारियों का कहना है कि उनको आरबीआई से जितना कैश मिल रहा है, उसके अनुसार ही उन्हें उस कैश को बैंक और एटीएम में रखने के लिए संतुलित ढंग से रखना पड़ रहा है, ताकि बैंक से कैश निकालने वालों को कोई दिक्कत न आएं।
मार्केट में कैश ज्यादा
आरबीआई के गवर्नर का मानना है कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ गई थी। इसे कम करने पर जोर दिया जा रहा है। बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी 4 जनवरी को 7956 अरब रुपये के स्तर पर थी। फरवरी में यह 6014 अरब रुपये और मार्च में 4806 अरब रुपये के स्तर पर आ गई थी। अब इसे और कम करना है।