नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में सत्ता तक पहुंचने के लिए भाजपा हर संभव प्रयास कर रही है। इसी के चलते रामनवमी के अवसर पर पहली बार यहां 150 रैलियों का आयोजन किया गया। रैलियों में बीजेपी, बीएचपी और आरएसएस के कार्यकर्ता शामिल थे। इन रैलियों में जयघोष के साथ हथियारों का खुला प्रदर्शन किया गया। कार्यकर्ताओं के हाथों में डंडों के अलावा चाकू और तलवारें भी थीं। उल्लेखनीय यह भी है कि इस रैलियों में जो महिलाएं एवं युवतियां शामिल हुईं, उनके हाथों में भी हथियार थे।
भाजपा का कहना है कि उसने ये रैलियां पार्टी की हिंदुत्व की बुनियादी विचारधारा को मजबूत बनाने के लिए निकालीं। वहीं राज्य सत्ता में काबिज तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का मानना है कि भाजपा लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटना चाहती है। इनमें से कई रैलियां ऐसे जिलों में आयोजित की गई थीं जहां सांप्रदायिक तनाव का इतिहास रहा है। राजधानी कोलकाता में ही कम से कम 22 ऐसी रैलियां निकाली गईं। पुलिस इन रैलियों को लेकर आशंकित थी फिर भी किसी तरह की हिंसा की घटना की शिकायत नहीं आई है। रैली में शामिल युवा हाथों में तलवार, चाकू और डंडे इत्यादि लिए हुए थे। ये युवक “जय श्री राम”, “जय बजरंग बली” और “हर हर महादेव” के नारे लगा रहे थे।
बगैर हथियार के राम नवमी कैसी?
कुछ जगहों पर पोस्टर देखे गए जिन पर अयोध्या में राम मंदिर बनाने की कसम खाने की बात लिखी थी। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधान सभा क्षेत्र भवानीपुर के चक्रबेरिया में भाजपा समर्थक सुबह नौ बजे ही इकट्ठा हो गए। उनके हाथों में हथियार भी थे। भाजपा समर्थक अवीक चक्रबर्ती ने कहा, “राम के पास हमेशा हथियार होता है। बगैर हथियार के राम नवमी कैसी? पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मंगलवार (चार अप्रैल) को कहा था, “भगवान राम के पास तीर-धनुष होता था। तो उनकी पूजा खाली हाथ कैसे हो सकती है? जब मोहर्रम मनाया जाता है तो लोग ध्रुवीकरण की बात नहीं करते। जब ईद और क्रिसमस मनाया जाता है तो ध्रुवीकरण की बात नहीं होती लेकिन राम नवमी मनाने पर कहते हैं कि ध्रुवीकरण हो रहा है। अगर राम नवमी से ध्रुवीकरण होता है तो होने दीजिए। हम इसे मनाएंगे।”
लड़कियों के हाथों में भी हथियार थे
राज्य के दुर्गापर में आरएसएस की दुर्गा वाहिनी से जुड़ी दर्जनों लड़कियों और महिलाओं ने हथियारों के संग रैली निकाली। खड़गपुर, इस्लामपुर और कोलकाता में रैलियों में शामिल होने वालों की संख्या अच्छी तादाद में थी। हालांकि पश्चिम बंगाल की राजनीति में भाजपा के ये राम प्रेम नया ही है। कुछ राजनीतिक जानकार प्रदेश में पिछले कुछ सालों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को इस प्रेम का प्रेरक मान रहे हैं।