₹200 का ककोरा, ₹20000 की दवाइयां का काम करता है

Bhopal Samachar
ककोरा देशी मशरूम यानि करेला का छोटा भाई, जंगलों में पाई जाने वाली प्रकृति प्रदत्त एकदम जैविक और प्राकृतिक वनस्पति। ये फल कोई फल नहीं है ये काकोड़ा ,कंटोला, खेक्सी जैसे नाम से जाना जाता है। बहुत सारी सब्जियों की तरह यह भी प्रकृति द्वारा प्रदत्त उपहार है, क्योंकि इसे उपजाया नहीं जाता ये स्वतः उगती है। मूल रूप से यह एक एक मेडिसीनियल प्लांट है। 

कैंसर जैसे रोग में भी लाभदायक होता है

ये बड़े बड़े जंगलो में खूब पैदा होती है इसे खोजकर तोड़ कर लाना थोड़ा दुष्कर काम है। परन्तु बाजार में ये आपको आसानी से मिल जाती है। इसकी बेल होती है जो कुछ समय बाद सूख जाती है और जमीन में उसकी जड़ सुरक्षित रहती है बारिश में जब उचित जलवायु पाती है तब पनप जाती है। इसकी भुजिया सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है। राजस्थान के लगभग सभी गांवों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक बहुत बेहतरीन सब्जी है जिसमे एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होता ये कैंसर जैसे रोग में भी लाभदायक होता है स्वाद तो बेमिसाल होता है। 

ककोरा के औषधीय गुण 

ककोड़े यानी कंटोले में कई औषधीय गुण होते हैं। इसे आम भाषा में वन करेला भी कहा जाता है। ककोड़े में विटामिन बी 12, विटामिन डी, कैल्शियम, जिंक, कॉपर, और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ककोड़े के सेवन से कई तरह की बीमारियों में फ़ायदा मिलता है। आयुर्वेद में भी ककोड़े का बहुत महत्व है। ककोड़ा एक लो-कैलोरी सब्जी है जिसे खाने से वजन तेजी से कम होता है। ककोड़ा की सब्जी खाने से कब्ज और अपच जैसी समस्या भी दूर हो सकती है। ककोड़ा का सेवन डायबिटीज में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें एंटीडायबिटिक प्रॉपर्टीज होते हैं। ककोड़ा खाने से आपको भरपूर एनर्जी मिलती है और आलस व सुस्ती दूर होती है।

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