पंडित चंद्रशेखर | भगवान राम कण कण मॆ व्याप्त परब्रम्हा है वे खुद अपनी योगमाया द्वारा अनंत ब्रम्हान्डो की रचना कर उसमे अपनी माया का विस्तार करते है इस मायावी जगत के सभी तत्व जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश उनकी मर्यादा से ही चलते है जब भी कोई तत्व इस सीमा का उल्लंघन करता है तो प्रभु श्री राम उसे मर्यादा मॆ लाते है। इस जगत मॆ नर नारी जड़ चेतन सभी कॊ अपनी मर्यादा मॆ रहना पड़ता है यह मर्यादा परम पिता परमात्मा द्वारा नियत रहती है।
भगवान राम की कुंडली
भगवान राम का जन्म चैत्रपक्ष की नवमी तिथि कॊ दिन के ठीक बारह बजे हुआ था। भगवान राम की कुंडली मॆ लग्न मॆ गुरु चंद्र का गजकेसरी योग है। स्वराशि के चंद्र तथा उच्च के गुरु से बना यह गजकेसरी योग उन्हे परम पूज्य तथा लोकप्रिय बना रहा है। पत्री के चारों केन्द्र मॆ उच्च राशि के ग्रह स्थित होकर परम शक्तिशाली चतुर्सागर राज़योग बना रहा है। लग्न मॆ उच्च का गुरु,चतुर्थ मॆ उच्च का शनि, सप्तम मॆ उच्च का मंगल तथा दशम मॆ उच्च राशि का सूर्य विद्यमान है। भाग्य मॆ उच्च राशि के शुक्र तथा केतु पर गुरु की नवम दृष्टि है।
कर्क लग्न लोक लग्न
सभी बारह लग्नो मॆ कर्क लग्न जनता भाव का नेतृत्व करता है ऐसे लोग जनता के लिये ही जन्म लेते है तथा जनता के बीच कार्य करते है। भगवान राम का जीवन प्रजा दीन दुखी तथा अपने परिवार के लिये था इस कारण उनका पारिवारिक जीवन कष्ट मॆ रहा।
गुरु ग्रह
भगवान राम की कुंडली मॆ धर्म का स्वामी गुरु अपनी उच्च राशि मॆ लग्न के स्वामी चंद्र के साथ बैठा है जिसके कारण वे सभी बढ़ो के परम प्रिय तथा धर्म की ध्वजा कॊ फहराने वाले थे।
सूर्य ग्रह
कुटुम्ब स्थान का स्वामी सूर्य राज्य स्थान मॆ अपनी उच्च राशि मॆ है जिस कारण वे रघुकुल जैसे उच्च कुल मॆ जन्मे।राज्य स्थान मॆ उच्च राशि के सूर्य ने उन्हे चक्रवर्ती सम्राट बनाया।सूर्य पर शनि की दृष्टि ने राज्यभंग किया।
मंगल
भगवान राम प्रबल मंगली थे।उनकी पत्री मॆ सप्तम भाव मॆ उच्च राशि का मंगल था जिसके कारण विवाह होते ही उनके जीवन मॆ भारी उथल पुथल हुई।उन्हे वनवास जाना पड़ा।पत्नी के लिये महान युद्ध करना पड़ा।उनके पुत्र लवकुश उनसे ज्यादा वीर थे।
शनि
भगवान राम कॊ शनि चतुर्थ स्थान मॆ उच्च राशि मॆ स्थित है जिससे वह जनप्रिय न्यायप्रिय शासक हुए।इन शनि महाराज की दशा मॆ ही वे वन मॆ रहे।शनि दक्षिण दिशा का स्वामी होता है।भगवान राम शनि की दशा मॆ अयोध्या(उत्तर)से श्रीलंका(दक्षिण) गये।ये उनकी पत्रिका मॆ शनि मंगल का प्रभाव था।
शुक्र
शुक्र उनकी पत्री मॆ भाग्य स्थान मॆ उच्च राशि मॆ था वे चक्रवती सम्राट दशरथ तथा रघुकुल शिरोमणि थे।
भगवान राम प्रजापालक थे हम सब उनकी प्रजा ही है। जो भी व्यक्ति कलयुग मॆ रामचरितमानस या राम नाम का स्मरण करता है उसे तथा उसके परिवार पर शनि ग्रह का कोप नही रहता।
भगवान राम का नाम जपने वाले पर हनुमानजी की विशेष कृपा रहती है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184