राकेश दुबे@प्रतिदिन। सड़क दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है। इसके जिम्मेदार कारकों र्मे इसमें सबसे पहला स्थान आता है गाड़ी चलाने के लिए लाइसेंस का। बिना गाड़ी चलाना जाने यदि यातायात विभाग किसी को लाइसेंस देता है तो यह पूरे समाज के प्रति अपराध है। बकौल नितिन गडकरी इस समय 30 प्रतिशत लाइसेंस फर्जी हैं। इसलिए ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के नियमों को थोड़ा कड़ा बनाना आवश्यक है।
गडकरी का कहना ठीक हैं कि बिना परीक्षण किए किसी को लाइसेंस नहीं मिल सकता है। यह बिल्कुल सही है। वैसे लाइसेंस के पहले अभी गाड़ी चालन का परीक्षा लेना अनिवार्य है, लेकिन किस तरह का परीक्षण होता है यह लोग जानते हैं। थोड़ा-बहुत ले दे के बात बन जाती है। यह ले दे के वाली स्थिति खत्म हो जाए तो बहुत अच्छा लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि गडकरी ऐसी कौन सी व्यवस्था करवा रहे हैं, जिसमें किसी को गाड़ी चलानी आती है या नहीं इसके परीक्षण के बगैर लाइसेंस मिल ही नहीं सकता। ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि चालन परीक्षण के नाम पर ही लाइसेंस रोक दिए जाएं। किसी को भी गाड़ी चलाना आता है या नहीं इसमें कोई भी कमी निकालकर रिपोर्ट लिख देना आसान है।
मूल बात ड्राइविंग लाइसेंस विभाग से भ्रष्टाचार खत्म करना है। गडकरी के अनुसार इसके लिए 28 परीक्षा केंद्र खोले गए हैं और परीक्षण के लिए 2000 और नये टेस्ट केंद्र खोलने की बात है। इसका अर्थ है कि सरकार लाइसेंस मिलने में देरी को खत्म करना चाहती है। तीन दिनों के अंदर ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाने का प्रावधान किया जा रहा है। जाहिर है, लोगों को यातायात कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। आपने आवेदन किया, शुल्क जमा किया, आपका टेस्ट हुआ और उसमें आप पास हुए तो फिर लाइसेंस आपके हाथों में। लाइसेंस का इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण होने का मतलब की फर्जी लाइसेंस अपने आप निरस्त हो गए।
दुर्घटना का दूसरा बड़ा कारण सड़कों की बनावट भी हैं। उन स्थलों की पहचान करके उसे दुरुस्त किया जा रहा है। साथ ही सड़क हादसों में किसी की मौत भी हो जाए तो उसमें सजा प्राय: होती ही नहीं और होती है तो भी बहुत कम। अब 10 वर्ष तक सजा का प्रावधान होने से असतर्कता के अभ्यस्त चालकों को भी सतर्क होना पड़ेगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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